मानसिक रूप से बीमार हैं नीतीश, मांझी के जलील किये जाने पर आरसीपी बोले..तत्काल उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए

मानसिक रूप से बीमार हैं नीतीश, मांझी के जलील किये जाने पर आरसीपी बोले..तत्काल उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए

PATNA: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व सीएम व हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी को जलील किया उन्हें तूम-तड़ाका किया। नीतीश कुमार के इस रवैय्ये से बीजेपी नेता आरसीपी सिंह भी हैरान हैं। उन्होंने तत्काल नीतीश कुमार को अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही। कहा कि वे मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं उन्हें इलाज की जरूरत है। 


बीजेपी नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा कि जीतनराम मांझी जी उम्र में नीतीश बाबू से बड़े हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से पहले आदरणीय मांझी जी बिहार में विधायक तथा मंत्री के पद पर रहे। आज जिस प्रकार से नीतीश बाबू ने जीतनराम मांझी जी को विधानसभा में जलील किया,वो कहीं से उचित नहीं है। यह दर्शाता है कि नीतीश कुमार न सिर्फ़ अपना आपा खो चुके हैं बल्कि मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं। तत्काल उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए और अपना इलाज करवाना चाहिए जिससे कि वो अपने बचे हुए समय में स्वस्थ रह सकें।


दरअसल जीतनराम मांझी विधानसभा में जातीय गणना की रिपोर्ट पर बोल रहे थे। तभी नीतीश ने सदन के अंदर दलित तबके से आने वाले नेता को जलील कर दिया। नीतीश काफी देर तक जीतन राम मांझी को तू-तड़ाक करते रहे लेकिन विधानसभा अध्यक्ष से लेकर सत्ता पक्ष के तमाम लोग चुपचाप बैठे तमाशा देख रहे थे। नीतीश के इस व्यवहार से मांझी काफी आहत हुए उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि पांच महीना और मुख्यमंत्री हम रह जाते तो नीतीश को कोई कुत्ता भी नहीं पूछता। मांझी ने कहा कि मुझे नीतीश की बातों पर गुस्सा नहीं बल्कि दया आ रही है। महामहिम राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग करेंगे। 


बता दें कि आरक्षण संशोधन बिल-2023 पर सदन में चर्चा हो रही थी। सदन में पूर्व मुख्यमंत्री व हम पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी ने जब जातीय गणना पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमको जातीय गणना पर विश्वास नहीं है। जातीय गणना करने के लिए लोग घर-घर नहीं गये बल्कि टेबल पर बैठकर इसे तैयार कर दिया गया। ऐसा रिपोर्ट से अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति का कभी उत्थान नहीं सकता वो कल भी वंचित थे और आगे भी इस रिपोर्ट के कारण वंचित रह जाएंगे। इतना सुनते ही मुख्यमंत्री भड़क गये कहने लगे कि इनकों कुछ आईडिया है वो तो मेरी गलती थी कि इस आदमी को मुख्यमंत्री बना दिया था। इस आदमी को कोई सेंस नहीं है ऐसे ही बोलते रहता है। यही जानकर हमने उधर भगा दिया। नीतीश ने मीडिया से कहा कि आप लोग भी सुन लो बेवजह इसके पब्लिसिटी देते रहते हो। 


ई कहता है कि हम भी मुख्यमंत्री थे। बीजेपी की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा कि एक मेरा सुझाव हैं कि आप लोग के पीछे यह इसलिए घूम रहा हैं कि यह गवर्नर बनना चाहता है। इसे गवर्नर बना दीजिए हमको भी कहता था। आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीतनराम मांझी पर जमकर बरसे। जीतन राम मांझी बोल ही रहे थे कि नीतीश कुमार बेकाबू होकर उठ खडे हुए. उन्होंने जीतन राम मांझी को तू तड़ाक करते हुए बेइज्जत करना शुरू कर दिया. नीतीश ने बोलना शुरू किया-इसको कोई आइडिया है, ये तो मेरी गलती है जो इस आदमी को हमने बना दिया था मुख्यमंत्री. कोई सेंस नहीं है इसके. ऐसे ही बोलता रहता है, कोई मतलब नहीं है. ये भाग के चला आया था


नीतीश कुमार सदन में बोल रहे थे-हम इसको(जीतन राम मांझी) को कह रहे थे कि आपही लोगों (भाजपा) के साथ रहिये. लेकिन ये भाग कर चला आया था हमारे 7 पार्टियों के गठबंधन में. फिर हम जानकर के भगा दिये उधर. कोई सेंस है...नीतीश कुमार की आपत्तिजनक बातों के बीच जीतन राम मांझी बोल रहे थे-ये गलत बात है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुछ सुनने को तैयार नहीं थे. उधर नीतीश कुमार जीतन राम मांझी को कह रहे थे-बैठो न यार, अरे सुनो न यार, कुछ जानते हो, बैठो. नीतीश फिर भाजपा विधायकों की ओर मुड़े-2013 में जब आप लोगो को छोड़ दिये थे तो हम इसको(मांझी को) बना दिये थे. दो ही महीना में हमारी पार्टी का लोग कहने लगा कि गड़बड़ है तो हम इसको हटा दिये थे और फिर हम बन गये थे. अब कहता रहता है कि मैं भी मुख्यमंत्री था. अरे, इ क्या मुख्यमंत्री था. इ तो मेरी मूर्खता से मुख्यमंत्री बना.


सदन के उपर प्रेस दीर्घा में बैठे पत्रकारों की ओर देखते हुए नीतीश कुमार बोले-आप उपर वाला भी जान लो, बिना मतलब का रोज इसको छापते हैं, कोई सेंस है इसमें. फिर बीजेपी विधायकों को कहा-एक मेरा सुझाव है कि आपही लोगों के पीछे इ घूम रहा है. इ चाहता है गवर्नर बनना. ये हमलोगों के साथ था तब भी जाकर उलटा पुलटा बोलता था. तो लगा दीजिये गवर्नर इसको. अरे बनना चाहता है ये गवर्नर. अरे आप काहे नहीं बनाते हैं गवर्नर. इसको गवर्नर बना दीजिये. 


नीतीश की बातों के विरोध में बीजेपी विधायकों ने शोर करना शुरू कर दिया. नीतीश बीजेपी विधायकों से भिड़ गये. नीतीश ने कहा कि मेरा गदहपन था जो इसको बना दिये थे. आप लोग अरे गवर्नर काहे नहीं बना देते हैं इसको. गर्वनर बनने के लिए पीछे घूम रहा है. इसके (मांझी के) परिवार का लोग इसके विरोध में है. ये कोई काम का आदमी नहीं है, फालतू है. नीतीश कुमार फिर बीजेपी विधायकों से भिडे-नारा लगा रहे हो, इसको(मांझी को) मुख्यमंत्री कौन बनाया. आप लोग बनाये हैं. भूल गये हो. कौन बनाया था उसको मुख्यमंत्री. मेरी गदहपनी जो इसको मुख्यमंत्री बना दिये. अब कह रहे हो पूर्व मुख्यमंत्री. नीतीश कुमार ने कहा कि मैं जान बूझ कर बोल रहा हूं. हम चाहते हैं कि तुम एक्सपोज हो जाओ. एक्सपोज्ड हो जाओ और इन लोगों के साथ रहो. 


इससे पहले भी नीतीश कुमार ने सदन में अमर्यादित टिप्पणी की थी जिसके बाद अपने इस बयान को लेकर उन्हें माफी तक मांगनी पड़ गयी। नीतीश कुमार के लगातार इस तरह के व्यवहार पर चिराग पासवान चिंता जताते हुए कहा कि मेरी चिंता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर है। नीतीश कुमार नपे तुले शब्दों में बोलने के लिए जाने जाते थे उनका लंबा अनुभव राजनीति में रहा है लेकिन आज वही व्यक्ति बोलने में गड़बड़ा रहा है। आज उनकी जवाब फिसल रही है। ऐसा लगता है कि कही कोई गलत है उनके आस-पास के लोगों को भी उनके प्रति चिंता करनी चाहिए। चिराग पासवान ने कहा कि ऐसे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में यह प्रदेश चले यह ठीक नहीं है। चिराग पासवान ने कहा कि जल्द ही लोजपा रामविलास का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलकर इस मामले को स्वत संज्ञान लेने के लिए आग्रह करेंगे और केंद्र सरकार से बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करेंगे साथ ही यह अपील करेंगे की नीतीश कुमार का इलाज किसी अच्छे अस्पताल में करायी जाए। 


वही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि राजनीति में लोग एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं। नीतीश कुमार ने मांझीजी को बिहार का सीएम बनाया था और उनके बेटे को भी मंत्री बनाने का काम किया था। यही बात वो सदन में भी कह रहे थे उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा है। तेजस्वी ने कहा कि इस बात को इस ऐतिहासिक दिन पर भाजपा मोड़ना चाहती है। देश के इतिहास में पहली बार 75 फीसदी आरक्षण पारित किया गया। आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया यह ऐतिहासिक काम किया गया। बीजेपी नहीं चाहती है कि इस तरह की खबरे जनता के बीच पहुंचे। जनता के प्रति जो हमलोगों का प्रण था उसे हमने पूरा किया है। मुख्यमंत्री जी के जुबान से दलित विरोधी शब्द नहीं निकला है ऐसी भाषा तो भाजपा में ही ना देखने को मिलता है। हमारे पिता और परिवार के बारे में भाजपा के बड़े बड़े नेता अभ्रद्र भाषा का प्रयोग करते हैं वो छिपाने वाली बात है क्या । पूरानी बातों को उजागर करने से क्या फायदा राजनीति में आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं लेकिन लोगों को सोचना चाहिए कि बेकार की बातों से दूर रहकर साकारात्मक काम में लगना चाहिए। 


वही नीतीश के इस बयान को लेकर जब जेडीयू के विधायक डॉ. संजीव से बात की गयी तो उन्होंने भी जीतनराम मांझी को गद्दार कह दिया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ भी गलत नहीं बोला है। मांझी जी को नीतीश कुमार ने ही मुख्यमंत्री बनाया था। अब उनको गवर्नर बनने की इच्छा है इसलिए बीजेपी के साथ गये हैं। राजनीति में मुख्यमंत्री का कद बहुत ऊंचा है। उम्र में भले छोटे हैं यह अलग बात है। नीतीश कुमार 18 साल से मुख्यमंत्री हैं केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। इसलिए वो अपनापन का भाव होता है इसलिए ऐसा कहे होगे। इसलिए ज्यादा इसकों तूल देने की बात नहीं है।


डॉ. संजीव ने कहा कि नीतीश कुमार ने सही कहा है कि गद्दारी नहीं करना चाहिए गद्दारी कोई करता है तो गुस्सा जरूर आएगा। नीतीश कुमार ने मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाया था। उनको ढंग से रहना चाहिए था ना कार्यकर्ताओं के साथ अच्छा व्यवहार कर रहे थे और ना ही बिहार के साथ कर रहे है। मुख्यमंत्री के साथ मांझी जी ने गद्दारी की थी इसमें कोई दो मत नहीं है।