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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 15 Nov 2024 08:00:51 AM IST
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DESK : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर पांच जिलों में छह पुलिस थानों की सीमाओं को "अशांत क्षेत्र" घोषित करते हुए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को फिर से लागू कर दिया। इसके बाद अब एक बार फिर लोगों के बीच यह चर्चा शरू हो गया है कि आखिर यह क्या है और इसमें क्या कुछ होता है?
दरअसल, 'अफस्पा' (AFSPA) अधिनियम 'अशांत क्षेत्रों' को 'शांत' करने के तहत सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों को असीमित ताकत देता है। इसे जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार लागू कर सकती है। इसके तहत सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्र घोषित एरिया में यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बिना किसी वारंट और बाधा के कार्रवाई कर सकती है।
AFSPA को सबसे पहले असम क्षेत्र में नगा विद्रोह से निपटने के लिए लागू किया गया था। इसे आप आसानी से ऐसे भी समझ सकते हैं कि AFSPA सेना, राज्य और केंद्रीय पुलिस बलों को बिना किसी वारंट घरों की तलाशी लेने और किसी भी संपत्ति को नष्ट करने वालों को गोली मारने की शक्तियां देता है। AFSPA को सरकार तब लागू करती है जब आतंकवाद या विद्रोह का मामला होता है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता खतरे में होती है। जिस एरिया में AFSPA लागू है, वहां सुरक्षा बल किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। यही नहीं, अगर किसी ने संज्ञेय अपराध किया है या वह करने वाला है तो सुरक्षाबल उसे भी बिना वारंट के अरेस्ट कर सकती है।
मालूम हो कि, मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार (11 नवंबर 2024) को सैनिकों की वर्दी पहनकर आए उग्रवादियों ने एक पुलिस थाने और निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। इस एनकाउंटर के अगले दिन यानी 12 नवंबर को सशस्त्र आतंकवादियों ने जिले से महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों को अगवा कर लिया। इस घटना के बाद से इलाके में तनाव और बढ़ गया है। 7 नवंबर से शुरू हुई हिंसा में कम से कम 14 लोग मारे गए हैं, जिनमें तीन पुरुष और महिलाएं शामिल हैं। जिसके बाद हालात बिगड़ते देख केंद्र सरकार ने AFSPA लागू करने का फैसला किया।