मल्लाह की सियासत करने वालों को बड़ा झटका, मल्लाह जाति को एससी में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र ने ठुकराया

मल्लाह की सियासत करने वालों को बड़ा झटका, मल्लाह जाति को एससी में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र ने ठुकराया

PATNA : बिहार में मल्लाह जाति को एससी के अंदर शामिल किए जाने हैं की मांग लंबे वक्त से उठती रही है। मल्लाह जाति को लेकर सियासत करने वाले राजनेता इससे बड़ा मुद्दा बनाते रहे हैं लेकिन इस मामले में अब केंद्र सरकार के फैसले से उन्हें बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने बिहार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसमें मल्लाह जाति को अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव था। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने लोकसभा में दिए गए अपने जवाब से केंद्र का फैसला स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार ने मल्लाह और बिंद समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा तय मानक और उसके हिसाब से इन प्रस्ताव को जांचा गया क्योंकि आरजीआई ने एक दूसरे संदर्भ में मल्लाह जाति को ऐसी की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था इसलिए यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। 


केंद्रीय मंत्री कटारिया के मुताबिक बिंद जाति के संबंध में आए प्रस्ताव को आरजीआई की सहमति नहीं मिली। केंद्र ने आरजीआई की टिप्पणियों के आलोक में समीक्षा के लिए इसे बिहार सरकार को वापस भेजा गया है। बिहार सरकार को कहा गया है कि वह अपनी क्षमताओं को जायज ठहराए। केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद बिहार में मल्लाह की राजनीति करने वाले मुकेश सहनी के लिए जवाब देना आसान नहीं होगा। मुकेश सहनी फिलहाल एनडीए की सरकार में शामिल हैं और राज्य में मंत्री भी हैं। हालांकि प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद मुकेश सहनी ने कहा है कि हम मल्लाह और बिंद को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की लड़ाई लड़ते रहेंगे। आजादी से लेकर आज तक केंद्र ने मल्लाह और बिंद के साथ सौतेला बर्ताव किया है। सहनी ने कहा है कि सभी पार्टियां फुटबॉल की तरह अनुसूचित जाति में शामिल करने के मुद्दे को इधर से उधर घूमाती रहती हैं। 


उधर बिहार सरकार के मंत्री और जेडीयू नेता मदन सहनी ने केंद्र के फैसले को गलत बताते हुए कहा है की मल्लाह जाति इसकी हकदार है। मदन सहनी ने कहा है कि केंद्र के फैसले से लगता है कि वह मल्लाह जाति को मुख्यधारा में नहीं लाना चाहती। बिहार में हमारी आबादी डेढ़ करोड़ है। हम आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक दृष्टि से बिल्कुल पिछड़े हुए हैं। आजादी के बाद यहां कोई आईएएस मल्लाह जाति का नहीं हुआ। ना राज्यपाल और ना मुख्यमंत्री ही बन पाया, दो से तीन विधायक के ही इस जाति से चुनकर आते हैं। जाहिर है केंद्र के इस फैसले के बाद आगे आने वाले दिनों में मल्लाह जाति को एससी में शामिल किए जाने के मसले पर सियासत और तेज होगी लेकिन फिलहाल केंद्र के फैसले से इस तबके के नेताओं को झटका लगा है।