PATNA: बिहार में एक बार क्रिकेट को मैदान के बजाय कोर्ट में खेलने की तैयारी हो रही है. पटना जिला क्रिकेट संघ पर वर्चस्व को लेकर भारी जंग छिड़ गयी है. दो गुटों में बंटे क्रिकेट संघ के दावेदार टीम चुनने के लिए अलग-अलग ट्रायल करा रहे हैं औऱ अलग-अलग लीग कराने में लग गये हैं. आज पीडीसीए यानि पटना जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष प्रवीण कुमार प्रणवीर ने अपनी बैठक बुलायी. बैठक के बाद दावा किया गया कि दूसरा खेमा फर्जी लीग और ट्रायल करा रहा है. प्रणवीर कैंप ने कहा कि बीसीए यानि बिहार क्रिकेट एसोसियेशन को वही मानना होगा जो वे कह रहे हैं.
PDCA की बैठक
पटना में आज प्रवीण कुमार प्रणवीर कैंप ने PDCA के एजीएम की बैठक बुलायी. बैठक के बाद प्रणवीर ने कहा कि उनकी बैठक में पटना जिला क्रिकेट संघ के 57 सदस्यों में से 40 मौजूद थे. बैठक में ये तय किया गया कि पटना में सही तरीके से लीग मैच कराये जायेंगे. जिला क्रिकेट टीम के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. प्रणवीर ने कहा कि पटना जिला क्रिकेट संघ का नये सिरे से चुनाव कराने के लिए कार्यक्रम तय किये जा रहे हैं. उन्होंने पटना के खिलाड़ियों से कहा कि वे फर्जी ट्रायल करा रहे लोगों के झांसे में नहीं आये।
हम आपको बता दें कि पटना जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष प्रवीण कुमार प्रणवीर ने कुछ दिनों पहले संघ के सचिव अजय नारायण शर्मा समेत कई औऱ पदाधिकारियों को क्रिकेट संघ से बाहर कर दिया था. उसके बाद पीडीसीए की कार्यकारिणी को भंग करते हुए नये सिरे से चुनाव कराने का एलान कर दिया गया था. उधर अजय नारायण शर्मा ने दावा किया कि वही असली पीडीसीए हैं. शर्मा गुट ने खिलाडियों के लिए ट्रायल करा कर पटना क्रिकेट टीम भी चुन ली थी.
फिर कोर्ट-कचहरी में क्रिकेट
कुल मिलाकर बिहार में क्रिकेट फिर से कोर्ट कचहरी में खेले जाने की आशंका उत्पन्न हो गयी है. 20 सालों तक बिहार क्रिकेट का मामला कोर्ट में फंसा रहा था जिसका खामियाजा खिलाडियों को भुगतना पड़ा. बाद में सुप्रीम कोर्ट औऱ लोढ़ा कमेटी के दखल के बाद बिहार क्रिकेट संघ को मान्यता मिली और खिलाडियों को खेलने का मौका मिला. लेकिन एक बार फिर कानूनी पचड़ा खड़ा होने की आशंका है. दरअसल बीसीए के अध्यक्ष राकेश तिवारी अजय नारायण शर्मा के साथ खड़े हैं. वहीं, बीसीए के पूर्व सचिव रविशंकर सिंह पटना जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष प्रवीण कुमार प्रणवीर को आगे कर चाल चल रहे हैं. जंग छिड़ी है और इसमें जिस गुट के पक्ष में फैसला नहीं होगा वह कोर्ट में जायेगा।