महामारी में पटना के दो दर्जन से ज्यादा अस्पतालों की हैवानियत उजागर हुई, जिला प्रशासन सिर्फ एक के खिलाफ FIR दर्ज कर पाया

महामारी में पटना के दो दर्जन से ज्यादा अस्पतालों की हैवानियत उजागर हुई, जिला प्रशासन सिर्फ एक के खिलाफ FIR दर्ज कर पाया

PATNA: महामारी के समय लाश से भी पैसे वसूलने में लगे पटना के निजी अस्पतालों की कारस्तानी सामने आने लगी है. पटना जिला प्रशासन ने लोगों से कहा था कि वे उन अस्पतालो के खिलाफ शिकायत भेजें जो ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं. जिन अस्पतालो को कोरोना के मरीजों के इलाज की इजाजत नहीं मिली है वे भी कोविड के इलाज के नाम पर पैसे लूट रहे हैं.  जिला प्रशासन के पास पटना के दो दर्जन से ज्यादा प्रमुख निजी अस्पतालों की लूट खसोट की शिकायत पहुंची है. हालांकि जिला प्रशासन ने सिर्फ एक अस्पताल के खिलाफ कार्र्वाई की औपचारिकता निभायी है. 


अवैध तरीके से हो रहा था इलाज फिर भी सिर्फ नोटिस

पटना जिला प्रशासन की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को बगैर सरकार की अनुमति के कोरोना पेशेंट का इलाज करने औऱ उससे नाजायज पैसा वसूलने के आऱोप में पटना के सारांश हॉस्पीटल को नोटिस जारी किया गया है. पटना के डीएम ने सारांश हॉस्पीटल के खिलाफ FIR दर्ज करने का भी आदेश दिया है जो शुक्रवार की देर शाम तक दर्ज नहीं हो पायी थी य़ा फिर पुलिस ने इसकी कोई जानकारी नहीं दी थी कि किस थाने में कहां और कब ये FIR दर्ज की गयी है. पटना के डीएम ने दो औऱ निजी अस्पतालों को नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है.


छोटे अस्पतालों में छापा, बडे निजी अस्पताल बेफिक्र

पटना जिला प्रशासन की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक लोगों से मिल रही शिकायतों को देखते हुए शुक्रवार को सरकार के धावा दल ने राजधानी के सैम्फोर्ड हॉस्पिटल, सारांश हॉस्पिटल और श्री इमरजेंसी हॉस्पिटल का इंस्पेक्शन किया. इसी निरीक्षण के दौरान ये पाया गया कि सैम्फोर्ड हॉस्पिटल में सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक राशि ली जा रही है. प्रशासन ने कहा है कि शिकायत के मद्देनजर अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है. सरकार के धावा दल ने पाया कि सारांश हॉस्पिटल को कोविड मरीजों के इलाज की अनुमति नहीं दी गयी है फिर भी वहां कोरोना के पेशेंट का इलाज किया जा रहा था. उस अस्पताल में मरीजों से मनमाना पैसा भी वसूला जा रहा था. सरकारी टीम के निरीक्षण के बाद सारांश अस्पताल को नोटिस जारी करने और उसके प्रबंधकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है. वहीं, पटना के श्री इमरजेंसी हॉस्पिटल को भी कोरोना पेशेंट के इलाज की इजाजत नहीं दी गयी थी फिर भी उस अस्पताल में कोरोना मरीजों को भर्ती कर मनमाना पैसा लिया जा रहा था. जिला प्रशासन ने इस अस्पताल को  नोटिस जारी करने का फैसला लिया है. 


दो दर्जन से ज्यादा अस्पतालों के खिलाफ ठोस सबूत

जिला प्रशासन के सूत्रों की मानें तो पटना में कई  बड़े निजी अस्पतालों समेत दो दर्जन हॉस्पीटल के खिलाफ ठोस शिकायत मिले हैं. लोगो से मिली इन शिकायतों से साफ हो रहा है कि इन अस्पतालों ने कोविड के इलाज के नाम पर लूट की इंतहा कर दी. हालांकि जिला प्रशासन ऐसे बड़े अस्पतालों के खिलाफ कोई कदम उठा पायेगा इसका यकीन शायद ही किसी को है. वैसे पटना जिला प्रशासन की ओर से ये जानकारी दी गयी कि शुक्रवार को उसके धावा दल ने पीएमसीएच, फोर्ड हॉस्पिटल, शरणम हॉस्पिटल, रूबन औऱ मेडीपार्क हॉस्पीटल  का भी निरीक्षण किया है.  जिला प्रशासन कह रहा है कि लोगों से मिल रही शिकायतों को विशेषज्ञों की टीम जांच कर रही है औऱ फिर कार्रवाई के लिए उसे धावा दल को सौंप दिया जा रहा है.