PATNA : "अगर हम आपके पक्ष में आदेश देते हैं तो भी उनको वापस अंदर करना मुश्किल होगा।" अब वो जनवरी के आखिरी सप्ताह में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। फिलहाल लालू यादव को वापस जेल में डालना मुश्किल होगा। यह बातें सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाला केस में लालू यादव को मिली जमानत के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सुनवाई की है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि लालू यादव को फिर से जेल में डालना मुश्किल होगा। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील से कहा कि आपकी बात मान भी लें तो उनको वापस जेल में डालना मुश्किल होगा। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच में पूर्व रेल मंत्री लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से मिले बेल के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी की गई। बेंच ने सीबीआई से कहा- "अगर हम आपके पक्ष में आदेश देते हैं तो भी उनको वापस अंदर करना मुश्किल होगा।"
सीबीआई की तरफ से पेश एडमिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने त्रुटिपूर्ण अनुमान के आधार पर यह मानकर लालू यादव को जमानत दी है कि चारा घोटाला के अलग-अलग केस की सजा एक साथ चलनी है, ना कि एक सजा खत्म होने के बाद दूसरी सजा शुरू होनी है।
इसके सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि हाईकोर्ट ने यह तय करने में गलती की है कि लालू ने आधी सजा काट ली है। लालू को दी गई सजा एक के बाद एक चलनी थी, ना कि एक साथ और इस हिसाब से लालू यादव को 14 साल जेल में रहना है। सीबीआई का कहना है कि जिस समय लालू यादव को बेल मिला उस समय उन्होंने लगभग एक साल की ही सजा काटी थी।
उधर, इस ममाले में लालू यादव की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने सीबीआई की जल्दी सुनवाई की बेचैनी पर सवाल उठाया और कहा कि- एजेंसी ने 14 महीने बाद अपील दाखिल की है और अब हड़बड़ी दिखा रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि इनका एक ही मकसद है कि लालू यादव को फिर से जेल में डाल दिया जाए ताकि वो 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान बाहर ना रहें।
सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने लालू यादव को जमानत देने वक्त उनकी उम्र, सेहत और बीमारियों पर भी गौर किया है। उन्होंने कहा कि लालू का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है और वो 42 महीने की जेल काट चुके हैं। लालू और सीबीआई के वकीलों की बहस के बीच कोर्ट ने कहा कि वो जनवरी के आखिरी सप्ताह में अगली सुनवाई करेगा।