लोकसभा चुनाव से पहले चम्‍पाई सोरेन ने चला बड़ा दांव, कार्मिक विभाग करवाएगी जातीय जनगणना

लोकसभा चुनाव से पहले चम्‍पाई सोरेन ने चला बड़ा दांव, कार्मिक विभाग करवाएगी जातीय जनगणना

RANCHI : बिहार के बाद अब झारखंड में भी जातीय गणना करवाई जाएगी। इसको लेकर मुख्यमंत्री चम्‍पाई सोरेन नेनिर्देश दिया है। कार्मिक विभाग के अधिकारियों को उन्होंने कहा है कि इस संबंध में प्रक्रिया तेज की जाए। हाल ही में राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है ताकि ट्रिपल टेस्ट कराई जा सके। इसके कारण नगर निकायों का चुनाव अधर में लटका है। आरक्षण निर्धारित करने की प्रक्रिया के तहत यह आवश्यक है।


दरअसल, झारखंड में जाति आधारित जनगणना करवाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने मंजूरी दे द। . कार्मिक विभाग के जिम्मे जातीय जनगणना का कार्य होगा। पूर्व में तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार भी जातीय जनगणना कराने की पक्ष में थी, लेकिन कौन विभाग करायेगा यह स्पष्ट नहीं था। इसकी वजह थी कि  राज्य कार्यपालिका नियमावली में जनगणना का काम भूमि एवं राजस्व सुधार विभाग को आवंटित है।  लेकिन जाति आधारित जनगणना का काम कार्यपालिका नियमावली में किसी विभाग को आवंटित नहीं था।ऐसे में अब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सरकार ने यह गतिरोध दूर कर लिया है। सरकार की मंजूरी के बाद अब कार्मिक विभाग जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव तैयार करेगा। 


वहीं, विधानसभा में जातीय जनगणना का मामला बार-बार उठता रहा है. विधायक प्रदीप यादव ने यह मामला ध्यानाकर्षण के माध्यम से लाया था कि सरकार जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है या नहीं. आजसू विधायक डॉ लंबोदर महतो भी यह मामला सदन के अंदर लेकर पहुंचे थे। इसके बाद इन तमाम सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने आश्वासन दिया था कि सरकार जातीय जनगणना के पक्ष में है. मंत्री की घोषणा के बाद सदन के आश्वासन पर कृत कार्रवाई प्रतिवेदन यानि एटीआर भी पेश किया गया था। एटीआर में कहा गया था कि झारखंड सरकार जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसे कौन विभाग करायेगा। लेकिन, अब यह मामला भी आसानी से हल हो गया है। 


उधर, ऐसी चर्चा है कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जातीय जनगणना करा ली है। इसे देखते हुए झारखंड में भी राजनीतिक दलों ने दबाव बनाया है। बिहार की तर्ज पर जाति जनगणना की मांग राजनीतिक दल उठाते रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों की दलील है कि बिहार की तरह झारखंड में भी स्पष्ट होना चाहिए कि किस जाति की कितनी संख्या है। इसके आधार पर हिस्सेदारी तय होनी चाहिए।