PATNA: पटना में 12 सितंबर को स्व. रामविलास पासवान की बरखी का नीतीश कुमार औऱ उनकी पार्टी के तमाम नेताओं द्वारा बहिष्कार किये जाने से खफा लोजपा (चिराग गुट) ने अपनी बैठक में नीतीश के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया. लोजपा की बैठक में नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगे. चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के नेताओं से कहा-दलित होना रामविलास पासवान जी के लिए गुनाह बन गया. तभी नीतीश कुमार ने उन्हें अछूत करार दे दिया.
नीतीश के खिलाफ आक्रोश
दरअसल चिराग पासवान ने आज अपनी पार्टी की बैठक बुलायी थी. इसमें तमाम प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष औऱ पिछले विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी मौजूद थे. बैठक में लोजपा नेत्री औऱ पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा ने प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने कहा कि स्व. रामविलास पासवान को नीतीश कुमार ने अछूत बना दिया. उनकी बरसी में वे खुद नहीं आये. उनकी पार्टी का कोई नेता नहीं आय़ा. हद तो ये कि चिराग पासवान उन्हें मिलकर न्योता देना चाह रहे थे तो नीतीश जी ने न्योता लेने तक से इंकार कर दिया. रेणु कुशवाहा ने निंदा प्रस्ताव पेश किया. जिसे लोजपा की बैठक में सर्वसम्मति से पारित कर दिया.
नीतीश मुर्दाबाद के नारे
रेणु कुशवाहा के निंदा प्रस्ताव के समर्थन में बोलते हुए लोजपा नेता और पूर्व एमएलसी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि नीतीश जी ने रामविलास पासवान जैसे विभूति का अपमान किया है जिन्होंने दलित परिवार में जन्म लेकर पूरे देश में बिहार का मान सम्मान स्थापित किया. इसकी जितनी निंदा की जाये कम है. लोजपा नेता शाहनवाज अहमद कैफी ने भी नीतीश कुमार पर कड़े शब्दों में हमला बोला. उसके बाद लोजपा की बैठक में नीतीश कुमार मुर्दाबाद के नारे लगने शुरू हो गये. पार्टी नेताओं ने नीतीश के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
चिराग बोले-दलित होना गुनाह नहीं
बैठक में नीतीश के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने के बाद चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश जी ने रामविलास जी के जीवन काल से ही उनके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया. जब स्व. पासवान जी को राज्यसभा भेजा जा रहा था तो नीतीश जी ने नामांकन में आने तक से मना कर दिया था. नीतीश जी ने रामविलास पासवान के मंत्री रहते उनके खिलाफ अपनी पार्टी के नेताओं से बयानबाजी करवायी थी. चिराग ने कहा कि उनके पिता और उनकी गलती शायद ये है कि वे दलित परिवार में जन्मे हैं. वर्ना ये सरकार न जाने किन किन लोगों की प्रतिमा पटना में स्थापित कर चुकी है. लोग देख लें कि किन लोगों की जयंती-पुण्यतिथि पर राजकीय समारोह मनाया जा रहा है. लेकिन शायद रामविलास जी दलित थे इसलिए उन्हें मृत्यु के बाद भी सम्मान का हकदार नहीं माना गया.