PATNA: त्रेता युग श्रवण कुमार के बारे में आपने जरूर सुना होगा जिसने अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर तीर्थ स्थलों का भ्रमण कराया था। ठीक उसी तरह कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले डी. कृष्ण कुमार अपनी मां को तीर्थ करा रहे हैं। उन्हें लोग कलयुग का श्रवण कुमार कह रहे हैं।
पटना के रामकृष्ण मिशन आश्रम में मां को स्कूटर से लेकर आए कृष्ण कुमार से जब मीडिया ने बात की तब उन्होंने बताया कि उनकी मां हमेशा घर में रहती थी। मां कभी घर से बाहर नहीं निकलती थी। पिता के निधन के बाद उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गयी। कृष्ण कुमार ने बताया कि उन्होंने शादी नहीं की है। वे बताते हैं कि 2015 में उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद मां ने किसी तरह भरण पोषण किया।
पढ़ाई करने के बाद बैंगलोर में नौकरी करने लगा। एक दिन मां से पूछा की कौन-कौन से मंदिर में अब तक गई हो। मां ने बताया कि हमारे घर के पास जो मंदिर है उसे तो आज तक देखा ही नहीं है अन्य की बात ही छोड़ दो। इतना सुनते ही कृष्ण कुमार हैरान रह गया। फिर सोचा बात तो सही कह रही है जिम्मेदारियां निभाने से फुर्सत मिलेगा तब ही नाम कहीं घुमने जाएगी। फिर कृष्ण कुमार ने मां को संपूर्ण भारत दिखाने का संकल्प लिया।
सबसे पहले उन्होंने 2018 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया फिर पापा के स्कूटर पर मां को बिठाकर तीर्थ यात्रा पर निकल गये। समग्र भारत के साथ-साथ नेपाल,भूटान, म्यांमार देश तक की यात्रा कर चुके हैं। अब तक 67 हजार 422 किलोमीटर की यात्रा तय कर चुके हैं। अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए पांच साल से कृष्ण कुमार 25 साल पुराने स्कूटर से यात्रा कर रहे हैं और 73 वर्षीय मां चूड़ा रत्ना को इस स्कूटर पर बिठाकर भारत दर्शन करा रहे हैं। 16 जनवरी 2018 को कर्नाटक के मैसूर से कृष्ण कुमार ने यात्रा शुरू की थी। मां को स्कूटर पर बिठाकर पूरे भारत के तार्थस्थलों का भ्रमण करा रहे हैं।
माता जी चूड़ा रत्ना कहती हैं कि पति के जीवन में कभी कुछ भी नहीं देखा था। आज मेरे बेटे ने संपूर्ण भारत का दर्शन करवा दिया। कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक की यात्रा मेरे बेटे कृष्ण कुमार ने कराया। उन्होंने कहा कि ऐसा बेटा मिलना वो भी इस जमाने में बेहद मुश्किल है। यह मेरा श्रवण कुमार है। इसे श्रवण कुमार की उपाधि भी मिल गई है। यह जहां भी जाता है लोग इसे कलयुग का श्रवण कुमार कहते हैं। मेरे बेटे ने अभी तक शादी नहीं किया है। इसे लौकिक जीवन पसंद नहीं है।
मैं चाहूंगी कि सभी बेटे अपने माता-पिता को अपने साथ रखे और उनकी देखभाल करे। माता-पिता परेशान होंगे तो बच्चों को कभी भला नहीं हो सकता। आज हम बेटे के साथ पटना आएं है। बेटे ने पूरे देश का भ्रमण कराया है जो इतना आसान नहीं था। आनंद महिंद्रा ने मां और बेटे की कहानी सुनकर कार की चाबी दी थी लेकिन कृष्ण कुमार ने चाबी लेने से इनकार कर दिया और 25 साल पुराने स्कूटर पर मां को बिठाकर तीर्थ यात्रा पर निकल गये।