मजदूर का बेटा मजदूर ही बने तो शिक्षा पर करोड़ों खर्च करने का क्या फायदा? केके पाठक ने शिक्षकों को हड़काया, बोले- कोताही बर्दाश्त नहीं होगी

मजदूर का बेटा मजदूर ही बने तो शिक्षा पर करोड़ों खर्च करने का क्या फायदा? केके पाठक ने शिक्षकों को हड़काया, बोले- कोताही बर्दाश्त नहीं होगी

BETTIAH: बिहार की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का बीड़ा उठा चुके शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक लगातार राज्यभर के सरकारी स्कूलों और शिक्षक प्रशिक्षण केंद्रों का घूम घूमकर जायजा ले रहे हैं। शुक्रवार को केके पाठक पश्चिम चंपारण के बेतिया पहुंचे, जहां उन्होंने कई स्कूलों का औचक निरीक्षण किया और शिक्षकों को खूब हड़काया और कहा कि किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


दरअसल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कुमारबाग डायट का निरीक्षण किया तथा डायट में प्रशिक्षण ले रहे 440 प्रधानाध्यापकों को संबोधित किया। अपने संबोधन के क्रम में उन्होंने कहा कि शिक्षकों के सहयोग से शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। आठवीं का छात्र ठीक से किताब नहीं पड़ पाता है और उसका पिता मजदूर है। ऐसी स्थिति रहेगी कि जब मजदूर का बेटा मजदूर ही बने तो शिक्षा पर 50 हजार करोड़ खर्च करने का क्या फायदा? पहले 65 फीसदी स्कूलों में 50 फीसदी से भी कम बच्चों की उपस्थिति होती थी लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।


इस दौरान शिक्षक मदन मोहन तिवारी ने स्कूल का समय 5 बजे से घटाकर 4 बजे करने का प्रस्ताव रखा। इसपर केके पाठक ने कहा कि राज्यकर्मी का दर्जा के लिए 8 घंटे ड्यूटी देना होगा। अनुशासन में कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण में शत प्रतिशत उपस्थिति होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने डायट में प्रशिक्षण संबंधित सुविधाओं का जायजा लिया। शिक्षकों के लिए खाना बनाने वाले कैंटीन की बदहाल स्थिति पर पाठक ने चिंता जताई।