JAMUI: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बिहार की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगे हैं। स्कूलों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिये जाने की बात उन्होंने कही है। उनके इस निर्देश का कई स्कूलों में पालन भी हो रहा है। वही जमुई के एक स्कूल में इस निर्देश का इस तरह से पालन किया गया जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस काम को मजदूर की जगह बच्चों से कराया गया। स्कूल के बच्चे ही बाथरूम साफ करते नजर आए और बाथरूम में रंग-रोगन करते दिखे। बाथरुम की सफाई और रंग-रोगन करते बच्चों के वीडियो को देख लोग भी हैरान हैं।
वही इस मामले में स्कूल के प्राचार्य ने बेतुका बयान भी दिया है कहा है कि मजदूर नहीं मिला तो बच्चों से यह काम कराया गया। मामला जमुई जिले के सदर प्रखंड मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर दूर स्थित मध्य विद्यालय का है। जहां स्कूली छात्रों से बाथरुम की सफाई कराया गया और बाथरुम की दीवार में रंग-पेंट भी बच्चों से कराया गया। आठवीं कक्षा के दो छात्रों से विद्यालय के प्रभारी ने साफ-सफाई कराया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि स्कूल के समय में आठवीं कक्षा के दो छात्रों ढूंढ निवासी राहुल रजक और संजीव शर्मा से स्कूल के शौचालय को साफ कराया गया और रंग रोगन भी कराया गया।
जब दोनों स्कूली छात्रों की नजर वीडियो बना रहे मोबाइल पर गई तब दोनों छात्र बाथरूम में छिपने लगे। बाद में बताया कि इसके लिए शिक्षक ने कुछ रुपए दिए थे। मध्य विद्यालय ढंढ के प्रधानाध्यापक रमाकांत शर्मा से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के सचिव के के पाठक के निर्देश पर ही साफ सफाई कराया जा रहा है। मजदूर नहीं मिलने के कारण वह खुद भी बाथरूम की सफाई किये है। और स्कूल के बच्चों को आज रंग रोगन में लगाया गया था।
अब सवाल यह उठता है कि क्या केके पाठक के निर्देश का पालन इस तरह होगा। बच्चे स्कूल में पढ़ने आते हैं ना कि शौचालय की सफाई करने आते है। लेकिन इन बच्चों से शौचालय की सफाई कराई गयी। शौचालय में पेंट भी करवाया गया। इस दौरान दोनों छात्रों की पढ़ाई बाधित रही। पढ़ाई बाधित रहने की जिम्मेदारी कौन लेगा? बच्चों से इस तरह का काम लेना कितना जायज है यह शिक्षा विभाग से जुड़े लोग भी बता पाएंगे। अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसे देखकर लोग भी हैरान हैं।