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खत्म हो गयी बिहार के मुसलमानों पर राजद-कांग्रेस की ठेकेदारी, किशनगंज में ओवैसी का उम्मीदवार जीता, कांग्रेस की जमानत तक नहीं बची

1st Bihar Published by: Updated Thu, 24 Oct 2019 01:02:06 PM IST

खत्म हो गयी बिहार के मुसलमानों पर राजद-कांग्रेस की ठेकेदारी, किशनगंज में ओवैसी का उम्मीदवार जीता, कांग्रेस की जमानत तक नहीं बची

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PATNA: बिहार के मुसलमान वोटरों को अपनी जागीर समझने वाले राजद-कांग्रेस को मुसलमानों ने बिहार के उप चुनाव में औकात बता दिया है. मुसलमान बहुल सीट किशनगंज में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ने जीत हासिल कर लिया है. ये सीट पहले कांग्रेस के कब्जे में थी, कांग्रेसी विधायक के सांसद बनने के बाद किशनगंज में उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेसी उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा.

खत्म हो गयी मुसलमान वोटरों की ठेकेदारी
दरअसल बिहार में राजद-कांग्रेस के जेहन में ये बात बैठ गयी थी कि मुसलमान वोट जायेंगे कहां. उन्हें तो हर हाल में उनके ही पाले में आना है. लेकिन किशनगंज उप चुनाव के परिणाम ने राजद-कांग्रेस की सोंच को मिट्टी में मिला दिया है. किशनगंज विधानसभा सीट वो क्षेत्र हैं जहां मुसलमानों की आबादी तकरीबन 70 फीसदी है. पहले कांग्रेस के मो. जावेद यहां से विधायक हुआ करते थे. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वे सांसद चुन लिये गये और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया.  कांग्रेसी विधायक के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर हुए चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM के उम्मीदवार कमरूल होदा ने जीत हासिल कर ली है. दूसरे स्थान पर भाजपा की स्वीटी सिंह रहीं. कांग्रेस की उम्मीदवार सइदा बानो की जमानत तक नहीं बची. ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ने तकरीबन 10 हजार वोट से जीत हासिल की है.

ओवैसी की लगातार कोशिशें रंग लायीं
मुसलमान बहुल बिहार के सीमांचल के इलाके पर असदुद्दीन ओवैसी की निगाहें काफी दिनों से लगी थीं. पिछले लोकसभा चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार अख्तरूल ईमान ने कांग्रेस और जदयू को कड़ी टक्कर थी. हालांकि अख्तरूल ईमान तीसरे नंबर पर रहे थे. लेकिन पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों के बीच वोट का फासला काफी कम था. उससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी ने किशनगंज में डेरा डालकर अपने उम्मीदवार लड़ाये थे. 2015 से ओवैसी की लगातार कोशिशें रंग लायी और आखिरकार उनकी पार्टी का खाता बिहार में खुल ही गया.


राजद-कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
किशनगंज का परिणाम राजद कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है. बिहार में मुसलमान इस गठबंधन के आधार वोटर माने जाते हैं. ये साफ दिख रहा है कि उनका आधार खिसक गया है. उधर ओवैसी की पार्टी ने पहले से ये एलान कर रखा है कि वो 2020 का विधानसभा चुनाव पूरे दम खम के साथ लड़ेगी और मुसलमानों की ठीक ठाक आबादी वाली हर सीट पर उम्मीदवार उतारेगी. जाहिर है राजद-कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा सामने है.