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DELHI : नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बन गया है. किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो टूक कहा है कि वह पूरे कानून पर रोक लगाएं और इस मामले का कोई साझा हल निकाले. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई हो रही है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा कि आंदोलन में किसानों की जान जा रही है. ऐसे में सरकार अभी इन कानूनों पर रोक लगाएगी या फिर अदालत ही आदेश जारी करें.
केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश में किसानों का आंदोलन पिछले 48 दिनों से चल रहा है. आज कृषि कानून और किसान आंदोलन से जुड़े तमाम जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. किसानों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे ने पक्ष रखा है. केंद्र और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई 8 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 17 दिसंबर को पिछली बार सुनवाई की थी और आज एक बार फिर इस मामले की सुनवाई हो रही है.
अदालत में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हम आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे, आप इसे जारी रखिए. हम यह जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे.सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि हमें आशंका है कि किसी दिन किसान आंदोलन के दौरान हिंसा भड़क सकती है. अगर कुछ घटित होता है तो उसके जिम्मेदार सब होंगे, हम नहीं चाहते कि हमारे हाथ रक्त रंजित हो.याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए. इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे, इसके बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं. लेकिन क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे.लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता. हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे. यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें.
CJI ने केंद्र से कहा कि हमारा इरादा यह देखना है कि क्या हम समस्या के बारे में सौहार्दपूर्ण समाधान ला सकते हैं. इसीलिए हमने आपसे अपने कानूनों को लागू ना करने के लिए कहा. यदि आपमें जिम्मेदारी की कोई भावना है, तो आपको उन्हें होल्ड में रखना चाहिए.