किसान आंदोलन का डर ? नीतीश सरकार ने धान खरीद के लिए SFC को 6 हजार करोड़ रूपये दिये, सहकारी बैंक को 3 हजार करोड़

किसान आंदोलन का डर ? नीतीश सरकार ने धान खरीद के लिए SFC को 6 हजार करोड़ रूपये दिये, सहकारी बैंक को 3 हजार करोड़

PATNA : देश भर में किसानों के आंदोलन का बिहार में असर हुआ है. नीतीश सरकार ने किसानों से धान खरीद के लिए अपनी एजेंसी स्टेट फूट कॉरपोरेशन को 6 हजार करोड़ रूपये देने का फैसला लिया है. सरकार कह रही है कि इस पैसे से किसानों का धान खरीदने के बाद तत्काल भुगतान कर दिया जायेगा.


कैबिनेट की बैठक में फैसला
नीतीश कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया. सरकार ने फैसला लिया कि स्टेट फूड कॉरपोरेशन यानि SFC को 6 हजार करोड़ रूपये उपलब्ध कराये जाये. SFC ये पैसे बैंकों से कर्ज लेगी. लेकिन बैंकों को कर्ज वापसी की गारंटी बिहार सरकार लेगी. लिहाजा SFC को आसानी कर्ज मिल सकेगा. सरकार का मानना है कि SFC के पास 6 हजार करोड़ रूपये आने के बाद किसानों को उनकी फसल का भुगतान तत्काल हो सकेगा. सरकार ने बिहार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड को भी ढ़ाई हजार करोड़ रूपये लोन लेने के लिए गारंटी दी है. ये पैसा भी किसानों से फसल खरीद में खर्च होगा.


दरअसल बिहार में अभी धान खरीद की जो सरकारी व्यवस्था है, उसके मुताबिक किसान पैक्सों को अपनी फसल बेचते हैं. पैक्स उन्हें एसएफसी को देते हैं. एसएफसी उसे केंद्र सरकार की एजेंसी FCI को सौंपती है. सरकारी नियमों के मुताबिक पैक्सों को धान खरीद के 48 घंटे के अंदर किसानों को पैसे का भुगतान करना होता है. पैक्सों को बिहार राज्य सहकारी बैंक से लोन मिलता है.  अब सहकारी बैंक पैक्सों को पैसा देगा जिससे वे किसानों को तत्काल भुगतान कर सकें. बाद में पैक्स अपना धान SFC को देकर सहकारी बैंक का कर्ज चुकायेंगे.


लचर है बिहार में धान खरीद 
हालांकि अब तक बिहार में धान खरीद की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरायी हुई है. सरकार ने पंचायत स्तर पर धान खरीद की व्यवस्था करने का दावा किया है लेकिन जमीनी रिपोर्ट यही है कि सूबे के अधिकतर पंचायतों में धान खरीद हो ही नहीं रही. कागज पर क्रय केंद्र खुलने का आरोप लगातार लग रहा है. किसान अपना धान औने पौने दाम पर बिचौलियों को बेचने पर मजबूर हैं.


हालांकि सरकार ने तीन दिन पहले धान खरीद के लिए नियमों में बदलाव किया है. इसके तहत अब किसानों को धान बेचने के लिए  भू-स्वामित्व प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होगी. इसके बाद धान खरीद में कुछ तेजी आयी लेकिन अभी भी लक्ष्य का 25 फीसदी धान खरीद नहीं हो पायी है.