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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 01 Jul 2025 08:31:49 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार सरकार ने जेलों में बंद उन गरीब कैदियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी जमानत राशि जमा नहीं कर पाते और रिहा नहीं हो पाते हैं। सरकार ने ऐसे विचाराधीन और दोषसिद्ध कैदियों की सहायता के लिए नई योजना की गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत राज्य सरकार उनके लिए जमानत राशि या जुर्माने की रकम का प्रबंध करेगी।
गृह विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम (जिलाधिकारी) और एसपी (पुलिस अधीक्षक) को निर्देश भेजे हैं। इसके अनुसार, कोर्ट से जमानत मिलने के सात दिन बाद यदि कोई कैदी रिहा नहीं हो पाता है, तो जेल प्रशासन को इसकी सूचना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) को देनी होगी।
जेल से मिली जानकारी के आधार पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव यह जांच करेंगे कि कैदी आर्थिक रूप से असमर्थ है या नहीं। इस जांच में प्रोबेशन अधिकारी, सिविल सोसाइटी के सदस्य और समाजसेवी संगठनों की मदद ली जा सकेगी। यह जांच 10 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी।
इसके बाद दो से तीन सप्ताह के भीतर सचिव उस केस को जिला स्तरीय समिति के समक्ष पेश करेंगे। इस समिति को यह अधिकार होगा कि विचाराधीन कैदी के लिए अधिकतम ₹40,000 तक की राशि कोर्ट में जमा कराई जा सके। दोषी करार कैदी के लिए अधिकतम ₹25,000 तक की राशि मंजूर की जा सके। यदि राशि इससे अधिक हो, तो मामला राज्य स्तरीय निगरानी समिति को भेजा जाएगा।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह योजना भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, NDPS (नारकोटिक्स), तथा असामाजिक गतिविधियों में शामिल कैदियों पर लागू नहीं होगी। ऐसे मामलों में सरकार कोई वित्तीय सहायता नहीं देगी।
योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए राज्य स्तर पर एक पांच सदस्यीय निगरानी समिति और जिला स्तर पर अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया है। राज्य स्तरीय समिति का नेतृत्व गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव करेंगे। अन्य सदस्यों में विधि विभाग के सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव जेल आईजी और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल होंगे।
जिला स्तरीय समिति का नेतृत्व संबंधित जिले के डीएम करेंगे। इसके अन्य सदस्यों में एसपी, जेल अधीक्षक/उपाधीक्षक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और जिला जज द्वारा नामित एक न्यायिक अधिकारी सदस्य होंगे।
कैदियों की पहचान के लिए सिविल सोसाइटी, समाजसेवियों, और जिला प्रोबेशन अधिकारियों की सहायता ली जाएगी। यह पहल न सिर्फ मानवाधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि यह जेलों में भीड़भाड़ कम करने, कैदियों के पुनर्वास और सुधारात्मक न्याय को बढ़ावा देने की दिशा में भी प्रभावी साबित होगी।
राज्य सरकार की यह योजना उन गरीब और बेसहारा कैदियों के लिए आशा की किरण है, जो केवल आर्थिक कमी के कारण न्याय मिलने के बावजूद जेल में बंद रहते हैं। इससे न्याय व्यवस्था में समावेशिता बढ़ेगी और सामाजिक न्याय की भावना को बल मिलेगा।