DESK : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के दावों को लेकर चुनाव आयोग में दायर की गई याचिका पर चुनाव आयोग आज यानि शुक्रवार को सुनवाई करने वाला है। लगभग आज यह तय हो जाएगा कि एनसीपी पर अजित पवार जो कुछ दिन पहले भा बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए उनका कब्ज़ा होगा या फिर शरद पवार का कब्ज़ा होगा। यह याचिका अजित पावर के तरफ से दायर की गयी है।
वहीं, भतीजे की इस चाल के खिलाफ चाचा शरद पवार ने चुनाव आयोग का रुख किया। अब दोनों गुटों को चुनाव आयोग के सामने अपना-अपना पक्ष रखना है। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने शरद पवार गुट के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जबकि अजित पवार गुट की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित किया जाना चाहिए और चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के प्रावधानों के तहत पार्टी का प्रतीक चिह्न भी आवंटित कर देना चाहिए।
दरअसल, नवंबर 2019 में बीजेपी के साथ सरकार बनाने की असफल कोशिश के बाद शरद पवार ने अजित पवार को पूरी तरह से किनारे कर दिया था। 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने शिवसेना में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। उसके बाद 5 जुलाई, 2023 को चुनाव आयोग को अजित पवार की ओर से पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा करने वाली एक याचिका और उनके गुट के सांसदों और विधायकों से उनके समर्थन में 40 हलफनामे मिले।
उधर, इस मामले शरद पवार ने कहा कि एनसीपी की स्थापना किसने की और पार्टी किसकी है ये सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं। इसके बाद भी पार्टी को हथियाने की कोशिश की जा रही है। फैसला चाहे जो भी हो लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैंने कई बार अलग-अलग चुनाव चिह्नों पर चुनाव लड़ा है और जीता भी है। वहीं, अजित पवार का कहना है कि चुनाव आयोग का जो भी फैसला होगा उसे स्वीकार किया जाएगा।