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1st Bihar Published by: Updated Sat, 16 Oct 2021 07:01:13 PM IST
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PATNA: लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की विधानसभा की सदस्यता यानि विधायिकी खत्म हो सकती है। उन्हें विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है. तेजप्रताप यादव ने आज इसके लिए पर्याप्त सबूत दे दिया है। लेकिन ऐसा तब होगा जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पुत्रमोह से बाहर निकलेंगे। राजद की एक शिकायत तेजप्रताप यादव की विधायिकी को खत्म कर देगा।
तेजप्रताप ने कर दी बड़ी गलती
दरअसल तेजप्रताप यादव ने आज बड़ी गलती कर दी। तेजप्रताप यादव ने आज अपने हस्ताक्षर से एक पत्र निकाला. पत्र उनके संगठन छात्र जनशक्ति परिषद की ओऱ से निकाला गया है, जिस पर खुद तेजप्रताप यादव का हस्ताक्षर है. इस पत्र में कहा गया है कि विधानसभा की दो सीटों के लिए हो रहे उप चुनाव में छात्र जनशक्ति परिषद कुशेश्वरस्थान में कांग्रेस के उम्मीदवार अतिरेक कुमार का समर्थन करेगी. पूरी मजबूती के साथ अतिरेक कुमार की जीत के लिए काम किया जायेगा.
संवैधानिक मामलों के जानकार बता रहे हैं कि तेजप्रताप यादव के हस्ताक्षर से जारी हुआ ये लेटर आत्मघाती है. दरअसल तकनीकी तौर पर तेजप्रताप यादव राजद के विधायक हैं. वे राजद के सिंबल पर विधानसभा चुनाव जीत कर आये हैं. देश में लागू दलबदल कानून के तहत किसी का कोई विधायक किसी दूसरी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर सकता. अपनी पार्टी की इजाजत से दूसरी पार्टी के लिए प्रचार किया जा सकता है. गठबंधन की स्थिति में किसी पार्टी के नेता सहयोगी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने तभी जाते हैं जब उनकी पार्टी इसकी इजाजत देती है. लेकिन किसी सूरत में पार्टी की मर्जी के बगैर दूसरी पार्टी के लिए किसी तरह का प्रचार या समर्थन का एलान नहीं किया जा सकता.
क्या पुत्र मोह छोड़ेंगे लालू-राबड़ी
लेकिन तेजप्रताप यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई तभी हो सकती है जब राजद की ओर से आधिकारिक शिकायक की जाये. सवाल यही है कि क्या लालू प्रसाद यादव औऱ राबड़ी देवी अपनी पार्टी को बचाने के लिए पुत्र मोह छोड़ेंगे. अगर राजद की ओऱ से कोई शिकायक नहीं की जाती है तो फिर तेजप्रताप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. राजद के जानकार बताते हैं कि किसी सूरत में लालू-राबडी अपने बेटे की विधायकी खत्म कराने की पहल नहीं करेंगे. वैसे हम आपको बता दें कि विधानसभा में राजद विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव हैं और वे खुद तेजप्रताप यादव के खिलाफ शिकायत करने में सक्षम हैं. लेकिन लालू-राबडी की मर्जी के बगैर तेजस्वी यादव भी अपने भाई के खिलाफ शिकायत नहीं करेंगे.
बिहार में ऐसे मामलों में पहले भी जा चुकी है सदस्यता
तेजप्रताप यादव ने आज जो पत्र जारी किया है उसमें उनकी विधायकी खत्म होने की संभावना के पीछे कई तथ्य हैं. बिहार में ऐसे मामलों में पहले भी नेताओं की सदस्यता जा चुकी है. BJP से राज्यसभा सांसद रहे कैप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद का ऐसा ही मामला था. 2004 में बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. उसी दौरान उनके बेटे अजय निषाद को राजद ने विधानसभा चुनाव का टिकट दे दिया. जयनारायण प्रसाद निषाद बीजेपी के सांसद होते हुए भी अपने बेटे और राजद के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने चले गये. बीजेपी ने उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति के समक्ष शिकायत की और 2008 में जयनारायण प्रसाद निषाद की संसद सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी.
नीतीश कुमार ने खुद अपनी पार्टी के नेताओं की सदस्यता को ऐसी ही शिकायतों के जरिये समाप्त कराया है. उनकी पार्टी के विधान पार्षद थे प्रेम कुमार मणि. नीतीश कुमार की पार्टी ने विधान परिषद में शिकायत कर दी कि प्रेम कुमार मणि दलविरोधी काम कर रहे हैं लिहाज उनकी सदस्यता रद्दा कर दी जानी चाहिये. प्रेम कुमार मणि के खिलाफ दल विरोधी काम करने का कोई सबूत भी नहीं था लेकिन उनकी विधान परिषद की सदस्यता चली गयी.
2014 में जेडीयू ने अपने 8 विधायकों की सदस्यता इसलिए रद्द करवायी थी कि उन्होंने राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ वोटिंग की थी. हालांकि राज्यसभा चुनाव की वोटिंग पर दलबदल कानून लागू नहीं होता. लेकिन फिर भी उनकी विधायकी खत्म कर दी गयी थी.