खरमास बाद बिहार में खेला होबे? तेजस्वी के ऑफर पर JDU ने शुक्रिया अदा किया, क्या नीतीश-तेजस्वी को साथ आने का मिल गया बहाना?

खरमास बाद बिहार में खेला होबे? तेजस्वी के ऑफर पर JDU ने शुक्रिया अदा किया, क्या नीतीश-तेजस्वी को साथ आने का मिल गया बहाना?

PATNA: ठीक पांच साल पहले राजद के साथ सरकार चला रहे नीतीश कुमार उससे गठजोड़ तोड़ने के लिए बहाना तलाश रहे थे। तेजस्वी यादव पर केस दर्ज हुआ तो बहाना मिल गया था। नीतीश बीजेपी से जा मिले थे. 5 साल बाद इतिहास दुहराता दिख रहा है. राजद ने नीतीश को खुला ऑफर दिया है कि वह जातिगत जनगणना के मसले पर बीजेपी को सबक सिखा दें, तेजस्वी यादव उनकी सरकार नहीं गिरने देंगे. कुछ ही घंटे में जेडीयू ने तेजस्वी के के ऑफर के लिए शुक्रिया अदा कर दिया. साथ में ये भी भरोसा दिलाया कि नीतीश कुमार हर हाल में बिहार में जातिगत जनगणना करा कर रहेंगे, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. सियासत के नये करवट बैठने के साफ संकेत मिलने लगे हैं।


हम आपको बता दें कि गुरूवार की सुबह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की थी. जगदानंद सिंह ने तेजस्वी यादव की ओर से नीतीश को खुला ऑफर दिया था. राजद की ओर से कहा गया कि नीतीश कुमार जातिगत जनगणना और बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के मसले पर कोई समझौता नहीं करें. वे बिहार में जातिगत जनगणना करायें. बीजेपी का जो कोई मंत्री इसके खिलाफ बोल रहा है उसे मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें. अगर बीजेपी सरकार से बाहर होती है तो भी राजद नीतीश की सरकार गिरने नहीं देगी। 


जेडीयू ने तुरंत राजद के ऑफर का स्वागत किया

राजद के इस ऑफर को सियासी हल्के में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था लेकिन उसके बाद जेडीयू का जो रिएक्शन आय़ा उससे मामला गंभीर होता दिख रहा है. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से बात करते हुए राजद के ऑफर के लिए शुक्रिया अदा किया. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वे जगदानंद सिंह को थैंक्स कह रहे हैं. जातिगत जनगणना के मसले पर राजद का समर्थन स्वागतयोग्य है. कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार हर हाल में जातिगत जनगणना करायेंगे. चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. कुशवाहा ये तो नहीं बोले कि बीजेपी से गठबंधन तोड देंगे लेकिन उनके बयान का मतलब कुछ ऐसा ही था।


क्या बनेगा नया समीकरण

अब सियासी हलके में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई बिहार में सत्ता का नया सियासी समीकरण बनेगा. क्या वाकई तेजस्वी यादव नीतीश के साथ चले जायेंगे. ये फिलहाल कहना जल्दबाजी होगा लेकिन अंदर ही अंदर कुछ खिचड़ी पक जरूर रही है. नीतीश की बीजेपी से तल्खी जगजाहिर है. चाहे जातिगत जनगणना का मामला हो या बिहार को विशेष राज्य के दर्जे का मामला. नीतीश कुमार अगर इन मुद्दों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं तो उसके पीछे मूल मकसद बीजेपी को फंसाना ही है. अब राजद ने एंट्री मारी है. जाहिर है इससे बीजेपी पर दवाब बढेगा. लेकिन अगर इसका उल्टा रिएक्शन हुआ तो नीतीश फंस भी सकते हैं. कुल मिलाकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि आगे की सियासत दिलचस्प होगी।