PATNA : बिहार में एक बार फिर से माहौल चुनावी हो चुका है। नगर निकाय चुनाव को लेकर हर तरफ उम्मीदवार जनता के बीच नजर आ रहे हैं। जीत के अपने-अपने दावे हैं और जनता के सामने नए-नए वादे भी किए जा रहे हैं। पटना में नगर निगम के लिए भी नामांकन की प्रक्रिया जारी है और 20 अक्टूबर को मतदान होना है। इस बार बिहार में मेयर और डिप्टी मेयर जैसे पदों पर सीधे चुनाव हो रहा है। जनता अपना मेयर और डिप्टी मेयर सीधे चुनेंगे। पटना में पूर्व में सीता साहू समेत कई उम्मीदवारों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के बावजूद पूर्व मेयर सीता साहू किस तरह नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। इसके बारे में फर्स्ट बिहार आपको बता रहा है।
दरअसल निकाय चुनाव समय पर नहीं कराया जा सका यह बात सबको मालूम है और निगम के सदस्यों और मेयर डिप्टी मेयर का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है। बिहार में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से आदर्श चुनावी आचार संहिता लागू है। इसके बावजूद पूर्व मेयर सीता साहू खुद को पटना का मेयर बता रही हैं। फर्स्ट बिहार आपको बता रहा है कि कैसे सीता साहू के सोशल मीडिया पेज पर अभी भी उन्होंने खुद को पटना की मेयर बताया हुआ है। सीता साहू के फेसबुक प्रोफाइल से लेकर अन्य अकाउंट पर उन्हें पटना का मेयर बताया जा रहा है। अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर वह नामांकन से लेकर चुनावी जनसंपर्क की तस्वीरें और वीडियो साझा भी कर रही हैं लेकिन उन्होंने अब तक अपने प्रोफाइल में बदलाव नहीं किया है। सीता साहू के फेसबुक प्रोफाइल का लिंक फर्स्ट बिहार आपके साथ नीचे साझा कर रहा है।
https://www.facebook.com/profile.php?id=100022821677837
हैरत की बात यह है कि सीता साहू जो पटना की में रह चुकी है। उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी आदर्श चुनावी आचार संगीता का पालन करना मुनासिब नहीं समझा। हद तो यह भी है कि राज्य निर्वाचन आयोग में अब तक इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। निर्वाचन आयोग केवल घोषणा कर बैठा हुआ है और उम्मीदवारों की तरफ से गाइडलाइन का पालन नहीं किए जाने को लेकर कोई एक्शन होता नहीं दिख रहा। राजधानी पटना के अंदर अगर मेयर पद की दावेदार और पूर्व में अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर खुद को मेयर बताते हुए चुनावी प्रचार कर रही हैं तो इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग की चुप्पी बड़े सवाल पैदा करती है।
सवाल यह भी है कि क्या मेयर नहीं होने के बावजूद खुद को मेयर बताकर सोशल मीडिया के जरिए पटना की जनता को प्रभावित करने का जो प्रयास सीता साहू ने किया है उस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग को एक्सेल में ही लेना चाहिए? क्या सीता साहू को अभी भी अपने फेसबुक का प्रोफाइल में बदलाव करते हुए मेयर की जगह पूर्व मेयर का जिक्र नहीं करना चाहिए? अगर इसी तरह चुनावी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता रहा तो फिर निकाय चुनाव के दौरान इसे लागू करने का दावा कैसे सही समझा जाए? फर्स्ट बिहार के तमाम सवाल पूछ रहा है।