DESK : आज कार्तिक पूर्णिमा है। कार्तिक पूर्णिमा का शैव और वैष्णव दोनों ही सम्प्रदायों में बराबर महत्व है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इसके साथ ही इसी दिन गुरुनानक देव का जन्म भी हुआ था, इसलिए सिख समुदाय के लोग इसे प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के रूप में भी मनाते हैं। ऐसे में इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। लिहाजा राजधानी पटना के गंगा घाटों पर लोगों की काफी भीड़ नजर आ रही है।
दरअसल, पूर्णिमा पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है। इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है। इस तिथि के स्वामी स्वयं चन्द्रदेव हैं। इस तिथि को सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं। इस तिथि पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है। इसलिए नदियों और सरोवरों में स्नान किया जाता है। कार्तिक की पूर्णिमा के स्नान से नौ ग्रहों की कृपा आसानी से मिल सकती है।
मालूम हो कि, इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से बड़े-बड़े यज्ञों को करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा की तिथि का आरंभ 26 नवंबर, रविवार को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 27 नवंबर, शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी।
आपको बताते चलें कि, कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करें। गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं। स्नान के बाद मंदिर में दीपक जलाएं। भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी का स्मरण करें।कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करें। गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं। स्नान के बाद मंदिर में दीपक जलाएं। भगवान विष्णु एवं माँ लक्ष्मी का स्मरण करें।