DESK: देश के टॉप 10 एनआईटी कॉलेजों में से एक इंजीनियरिंग कॉलेज NIT सूरथकल में पटना के रहने वाले एक छात्र ने सुसाइड कर लिया है। कर्नाटक के इस इंजीनियरिंग कॉलेज में इस घटना से हड़कंप मचा हुआ है। वही इस बात सूचना जब परिवारवालों को दी गयी तब परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वही परिवार की गरीबी ऐसी कि कर्नाटक से बेटे की शव लाने तक के पैसे नहीं है। परिजनों तक जिन दोस्तों ने यह सूचना पहुंचाई उन्हें परिवार वालों ने यह कह दिया कि उसका अंतिम संस्कार वही कर दो।
बता दें कि पटना का रहने वाले 19 वर्षीय सौरव यादव ने कर्नाटक स्थित एनआईटी सूरथकल में दो साल की पढ़ाई पूरी की। अपने सपने को वह पूरा करने ही वाला था कि उसने अपनी जिन्दगी से हार मान ली। स्टूडेंट लोन की राशि वह चुका पाएगा कि नहीं इसी टेंशन में उसने यह कदम उठाया। उसके इस कदम से परिवार के लोग काफी सदमे में हैं।
मिली जानकारी के अनुसार एक लाख का लोन लेकर माता-पिता ने बेटे सौरव को देश के नामी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने भेजा था।एनआईटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर के छात्र सौरव का परिवार बेहद ग़रीब था लेकिन सपने बड़े थे। कितनी दिक्कतों का सामना कर उसे परिवार वालों ने स्टूडेंट लोन लेकर पढ़ने के लिए कर्नाटक भेजा था। माता-पिता ने अपनी पूरी जमा-पूंजी बेटे के उज्जवल भविष्य के लिए लगा दिए थे। जबसे सौरव का एडमिशन हुआ तब से घर में खाने तक के लाले थे। लेकिन एक माता-पिता ने एक उम्मीद लगा रखी थी कि कभी तो अच्छे दिन आएंगे। जिसके बाद परिवार की स्थिति सुधरेगी। बेटे की सफलता को वे समाज के बीच रखेंगे। बताएंगे की उनका बेटा क्या है। लेकिन अफसोस उनका यह सपना अधूरा ही रह गया।
अपने सुसाइड नोट में मृतक सौरव ने पिता को लिखा है कि 'जल्दी से लोन चुका देना वरना ब्याज़ जुड़ता चला जाएगा।' इसके अलावा उसने जानकारी दी कि उसके खाते में 46 हज़ार रुपये हैं। उसका भी उपयोग कर लेंगे। अपने माता-पिता से सौरव ने माफी भी मांगी है। उसे लगता था कि अगर वह पढ़ाई पूरी कर एक लाख का लोन नहीं चुका पाया या परिवार के इच्छा के मुताबिक नौकरी नहीं कर पाया तो क्या होगा?
सौरव का डर जो भी रहा हो लेकिन उसके दोस्त का कहना था कि सौरव के अब तक के रिजल्ट अच्छे थे। ग्रेडिंग भी बेहतर थी। कैंपस सेलेक्शन भी होना लगभग तय था। सौरव के माता-पिता को जब बेटे की मौत की जानकारी मिली तो गहरे सदमें में चले गये। उनकी गरीबी ऐसी कि बेंगलुरू जाने के पैसे भी नहीं थे और ना ही बेटे की लाश घर पर लाने के लिए ही पैसे थे। अपनी स्थिति से बेवस मां-बाप ने बेटे के करीबी दोस्तों से कहा कि 'वहीं उसका अंतिम संस्कार कर दो।' इतना सुनते ही सौरव के दोस्तों ने किसी तरह शव को पटना पहुंचाने का प्रबंध किया।
सवाल यह उठता है कि सौरव को अपने एक लाख के एजुकेशन लोन को लेकर इतना डर क्यों था। उसे ऐसा क्यों लग रहा था कि यदि वह इसे चुका नहीं पाएगा तो सबकुछ तबाह हो जाएगा? यह सवाल डराने वाला है। सौरव की मौत डराने वाली है और हमें ख़तरे की तरफ इशारा करती है। बच्चों के भविष्य की फिक्र खड़ी करती है। जिस मुकाम पर पहुंचने का सपना देश के लाखों युवाओं का होता है, वहां पहुंचने के बाद देश के ये होनहार किन हालात से जूझकर ज़िंदगी से हार रहे हैं? सवाल कई है लेकिन जबाव किसी के पास नहीं। कर्नाटक के NIT सूरथकल में पढ़ने वाले छात्र सौरव के इस कदम से संस्थान में शोक की लहर हैं। उसके इस कदम से परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है।