DESK : साल 2021 का दूसरा ग्रहण और पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है. जून महीने की 10 तारीख को लोग सूर्य ग्रहण का नजर देख सकेंगे. साल का ये दूसरा ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें चंद्रमा की छाया सूर्य पर इस तरह से पड़ेगी जिससे सूर्य के बीच का भाग पूरी तरह से ढक जाएगा लेकिन उसका बाहरी हिस्सा प्रकाशमान रहेगा. इस स्थिति में सूर्य के चारों तरफ एक अंगूठी जैसी आकृति बनती हुई प्रतीत होगी. इसलिए इस सूर्य ग्रहण को ‘रिंग ऑफ फायर’ के नाम से भी जाना जाता है.
आपको बता दें कि इसके पहले 26 मई को चंद्र ग्रहण लगा था. साल 2021 खगोलीय नजरिये से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल चार ग्रहण लग रहे हैं. इसमें दो सूर्य और दो चंद्र ग्रहण शामिल हैं. इन ग्रहणों से भारत का वास्ता इसलिए नहीं हैं, क्योंकि इनमें से कोई भी ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. 26 मई को साल का पहला चंद्रग्रहण लगा था जो भारत में अधिकतर हिस्सों में दिखाई नहीं दिया था. अब 10 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण के साथ भी ऐसा ही होने वाला है. चूंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए सूतक समेत धार्मिक नियम भी लागू नहीं होंगे.
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब देवों व दानवों मंधन के समुद्र मंथन से अमृत निकला तो दोनों के बीच अमृत पीने को लेकर विवाद हो गया. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर देवों व दानवों को अलग-अलग बैठा दिया. देवों की पंक्ति में बैठे चंद्रमा व सूर्य ने देखा कि एक दानव अपनी पंक्ति छोड़कर देवों की पंक्ति में बैठ गया है. उन्होंने इसकी जानकारी दी. लेकिन इस बीच देवों को अमृत पिलाते विष्णु उस दानव को अमृत दे चुके थे. अमृत उसके गले से नीचे उतरता, इसके पहले ही भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया लेकिन अमृत पी लेने के कारण उसकी मौत नहीं हो सकी. उसका सिर राहु बना तो धड़ केतु बन गया.
इस घटना के बाद से राहु और केतु ने सूर्य व चंद्रमा का अपना शत्रु मान लिया. वे पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और अमावस्या के दिन सूर्य को खाने की कोशिश करते हैं. इसमें सफल नहीं होने पर निगलने की कोशिश करते हैं. इसी घटना को ग्रहण कहते हैं. जब राहु और केतु सूर्य को खाने या निगलने की कोशिश करते हैं तब सूर्य ग्रहण लगता है.
आपको बता दें कि 10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा. ये ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा. इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में सबसे ज्यादा दिखेगा. ये एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, लेकिन उसका आकार पृथ्वी से देखने पर इतना नजर नहीं आता कि वो सूर्य को पूरी तरह ढक सके, तो ऐसी स्थिति को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं.