आर्केस्ट्रा में नाबालिगों के शोषण के खिलाफ पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 21 लड़कियों को कराया मुक्त, 3 आरोपी गिरफ्तार बेगूसराय में बाइक सवार युवकों की दबंगई, 10 रूपये की खातिर पेट्रोल पंप पर की मारपीट और फायरिंग SUPAUL: छातापुर में संतमत सत्संग का 15वां महाधिवेशन संपन्न, VIP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा ने महर्षि मेही परमहंस को दी श्रद्धांजलि Sonia Gandhi Admitted: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत बिगड़ी, इलाज के शिमला के अस्पताल पहुंचीं Sonia Gandhi Admitted: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत बिगड़ी, इलाज के शिमला के अस्पताल पहुंचीं Bihar News: बिहार महिला आयोग में भी अध्यक्ष-सदस्यों की हुई नियुक्ति, इन नेत्रियों को मिली जगह, जानें... Bihar Crime News: बिहार में पंचायत के दौरान खूनी खेल, गोली मारकर युवक की हत्या; गोलीबारी से दहला इलाका Bihar News: बिहार को मिली एक और बड़ी उपलब्धि, शिक्षा, शोध और सेवा को नई उड़ान; डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने क्या कहा? Bihar News: बिहार को मिली एक और बड़ी उपलब्धि, शिक्षा, शोध और सेवा को नई उड़ान; डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने क्या कहा? Bihar Politics: ‘गलतबयानी कर दलितों, अतिपिछड़ों को भड़का रहे राहुल गांधी’ मंत्री संतोष सुमन का बड़ा हमला
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 20 Aug 2023 07:31:16 PM IST
- फ़ोटो
CHHAPRA: बिहार के स्कूल और कॉलेजों की बदहाली से हर कोई वाकिफ है। स्कूलों और कॉलेजों में संसाधनों की घोर कमी के बावजूद कुछ संसाधन उलपब्ध भी हैं तो देखरेख के अभाव में उनका हाल बुरा है। इसी तरह का एक मामला छपरा से सामने आया है, जहां तत्कालीन रेलमंत्री और सारण सांसद लालू प्रसाद द्वारा छात्राओं की सुविधा के लिए जेपी विश्वविद्यालय को दिए गए दो बस बदहाली की पूरी कहानी बता रहे हैं।
दरअसल, जयप्रकाश विश्वविद्यालय परिसर में खड़ी दो पीले रंग की बसें कबाड़ बनकर बदहाली की कहानी बयां कर रही हैं। सारण के तत्कालीन सांसद और उस वक्त रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद ने जेपी विश्वविद्यालय की छात्राओं को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सांसद मद से दिए थे। दोनों बसें विश्वविद्यालय सहित महिला महाविद्यालय को प्रदान किया गया था ताकि छात्राएं अपने घर से जो दूर देहात में रहती हैं उन्हें आने जाने में और अपनी पढ़ाई पूरी करने में कहीं से कोई परेशानी ना हो।
विश्वविद्यालय ने बस लेने को तो ले लिए लेकिन आज तक छात्रों के लिए ये बसें सड़कों पर दौड़ते हुए नजर नहीं आईं। कुछ कॉलेजों में यह बसें असामाजिक तत्वों के द्वारा जला दी गई तो कहीं बस के पार्ट पुर्जे चोरी कर लिए गए। छात्रों का कहना है कि अगर बसें चली होती तों उन्हें विश्वविद्यालय तक आने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। प्राइवेट वाहन मनमाने ढंग से पैसे वसूलते हैं। प्रतिदिन एक सौ से डेढ़ सौ रुपया किराया में खर्च हो जाता है। अगर बसें चलती तो शायद उनका इतना पैसा बर्बाद नहीं होता और परेशानियों का सामना भी नहीं करना पड़ता।