DESK : देश के 50 वें मुख्य न्यायधीश के तौर पर बुधवार को जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने शपथ ले लिया है। इनको देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में मुख्य न्यायधीश पद की शपथ दिलाई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के गलियारों से अच्छी तरह वाफिक हैं। वह देश के 49 वें जस्टिस उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे।
बता दें कि, इनके नाम की सिफारिश 8 अक्टूबर को पूर्व मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने कानून मंत्री किरन रिजिजू से की थी। यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की उपस्थिति में पर्सनली जस्टिस चंद्रचूड़ को अपने पत्र की एक कॉपी सौंपी थी। परंपरा है कि मौजूदा मुख्य न्यायधीश अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ 11 नवंबर 1959 को पैदा हुए और 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में पदोन्नत किये गये थे। इनके पिता भी देश के 16 वें मुख्य न्यायधीश थे। उनका नाम वाईवी चंद्रचूड़ था। जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ का कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक यानी करीब 7 साल रहा। अब 37 साल बाद उनके बेटे जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने देश के 50 वें मुख्य न्यायधीश के तौर पर शपथ लिया है।
गौरतलब हो कि,जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल हैं। इन्होंने ने ही 31 अगस्त को ट्विन टावरों को तोड़ने का आदेश दिया था। इन्होंने कहा था कि ट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया।