JHARKHAND: झारखंड में जेएमएम ने राज्यसभा चुनाव को लेकर महुआ माजी को उम्मीदवार बनाने की घोषणा जैसे ही की कांग्रेस के विधायकों के सुर सरकार और झारखंड मुक्ति मोर्चा के खिलाफ होने लगी। एक के बाद एक कांग्रेस विधायक सरकार और जेएमएम के खिलाफ बयान देने लगे। कांग्रेस विधायकों ने जेएमएम पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया। झारखंड कांग्रेस के बढ़ते राजनीतिक तापमान के बीच झारखंड कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे को रांची भेजा गया।
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी ने रांची में अपने विधायकों के साथ 6 घंटे तक मैराथन बैठक की। बैठक के बाद अविनाश पांडे ने मीडिया से कहा कि विधायकों के अंदर कोई नाराजगी नहीं है , बैठक में संगठन और मांडर उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई है। कांग्रेस के पास इतना संख्या बल नहीं था कि वो उम्मीदवार उतार सके इसलिए जेएमएम ने उम्मीदवार उतारा है।
जबकि हकीकत कुछ ऐसी है, जो कांग्रेस के कुछ विधायकों के बयान से समझा जा सकता है। कांग्रेस विधायक पूर्णिया सिंह ने मीडिया में बयान देकर कहा था कि जेएमएम को गठबंधन का धर्म निभाना चाहिए था, सरकार न 30 से चलेगी न 18 से, सरकार चल रही है 48 पर। जेएमएम गठबंधन में मनमानी कर रही है। कांग्रेस की दूसरी महिला विधायक दीपिका पांडे ने तो कहा कि जेएमएम का उम्मीदवार उतारना कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का अपमान है क्योकि हेमंत सोरेन दिल्ली में सोनिया जी से मिलकर आए उस समय जो बात हुई उसके उलट उन्होने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। महागठबंधन की सरकार युवाओं की उम्मीद पर खरा नहीं उतर रही है और न ही भ्रष्ट्राचार पर अंकुश लगा है। वहीं कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने राज्य के मुख्यमंत्री को ट्वीटर पर टैग करके लिखा- पत्थर तो हजारों ने मुझ पर मारे थे मगर, जो दिल पर आकर लगा वह एक दोस्त ने मारा था।
दरअसल, इरफान अंसारी अपने पिता पूर्व सांसद फुरकान अंसारी को राज्यसभा भेजने के लिए रांची से दिल्ली तक लांबिंग कर रहे थे और मुख्यमंत्री से उनके रिश्ते निजी तौर पर काफी अच्छे रहे है। कुछ दिन पहले इरफान अंसारी के बेटे के जन्मदिन पर भी मुख्यमंत्री इरफान के घर पहुंचे थे और साथ में केक काटा था। कांग्रेस के दावेदारी को खारिज करके जिस तरह से हेमंत सोरेन ने उम्मीदवार उतारा है उससे कांग्रेस में नाराजगी तो दिखी लेकिन प्रभारी के बयान ने सारी नाराजगी को दरकिनार कर दिया।