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जीतनराम मांझी की नीतीश सरकार से मांग, कहा-जब पीएम मोदी कृषि कानूनों को वापस ले सकते हैं तो शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं हो सकती?

1st Bihar Published by: Updated Sat, 15 Jan 2022 10:24:15 PM IST

जीतनराम मांझी की नीतीश सरकार से मांग, कहा-जब पीएम मोदी कृषि कानूनों को वापस ले सकते हैं तो शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं हो सकती?

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PATNA: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का शराबबंदी को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून की समीक्षा किए जाने की मांग की है। नालंदा में शराब पीने से 7 लोगों की मौत पर दुख जताते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से एक बार फिर से शराबबंदी की समीक्षा किए जाने की मांग रखी है। जीतन राम मांझी कहा कि शराबबंदी की समीक्षा करना ही उचित है। 


शराबबंदी पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने यह कहा कि 'ना जाने क्यों नीतीश जी समझ नहीं पा रहे, शराबबंदी को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिए हैं। जब पीएम मोदी कृषि कानूनों को वापस ले सकते हैं तो शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं हो सकती?' इसलिए शराबबंदी की समीक्षा करना जरूरी है। नालंदा, गोपालगंज और कहां नहीं शराब से मौतें हो रही है। बता दें कि आज सोहसराय के छोटी पहाड़ी इलाके में 7 लोगों की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। आशंका जताया जा रहा है मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुई है।   


वही नालंदा में जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत होने के बाद बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल का बयान भी आया। बीजेपी प्रवक्ता ने सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोला। प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि उन्हें नालंदा में जहरीली शराब से 4 लोगों की मौत होने की जानकारी मिली है. ये दुखद है. बिहार में जहरीली शराब की लगातार बिक्री हो रही है. बिहार में शराबबंदी है, इतना अभियान चलाया जा रहा है औऱ इसके बावजूद लगातार शराब की बिक्री हो रही है।  


बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि हम लोग बार बार कह रहे हैं कि शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिये. गडबड़ी है इस कानून में. उसके कारण ही शराब की बिक्री हो रही है. शराब के नाम पर जिन लोगों को पकड़ा जा रहा है वो कौन लोग हैं. जो माफिया हैं, जो बेचने वाले हैं, जिनकी सांठगांठ से शराब की बिक्री हो रही है वैसे लोग पकड़े नहीं जा रहे हैं. सरकार हाथ पर हाथ रख कर केवल गरीब, कमजोर औऱ मजबूर लोगों पर कार्रवाई करती है। 


बीजेपी प्रवक्ता ने कहा है कि शराबबंदी अगर किया गया है तो वह जमीन पर उतरना चाहिये. वह सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहना चाहिये. सिर्फ इसे सियासी मुद्दा नहीं बनाना चाहिये. शराबबंदी कानून की तत्काल समीक्षा होनी चाहिये. ये पहचान करना चाहिये कि कौन लोग हैं जो शराब बिकवा रहे हैं, अगर ऐसे लोग सरकार में भी बैठे हैं तो उनके खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई होनी चाहिये. अभी तो शराबबंदी पूरी तरह से हास्यास्पद बन गयी है।