जीजा ने 50 हजार में साले को बेचा, सांसद समीर उरांव की पहल पर रिहा कराया गया मुन्ना

जीजा ने 50 हजार में साले को बेचा, सांसद समीर उरांव की पहल पर रिहा कराया गया मुन्ना

JHARKHAND: कुछ लोगों में पैसे का लालच इतना खराब होता है कि वह रिश्तों के महत्व को भी भूल जाता है। ऐसा ही एक मामला झारखंड के गुमला में सामने आया है। जहां पैसों के लालच में एक जीजा ने अपने साले को ही बेच दिया। यूपी के बनारस स्थित एक ईंट भट्ठे में 50 हजार रुपये में सौदा कर दिया। 5 महीने तक उसे बंधक बनाकर ईंट भट्टा पर काम कराया गया। इस दौरान काफी जुल्म ढाये गये। इस बात की जानकारी जब सांसद समीर उरांव को हुई तब उनकी पहल पर पीड़ित को रिहा कराया गया। 


बताया जाता है कि झारखंड के गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के हापामुनी गांव के रहने वाले भैया उरांव के 24 वर्षीय बेटे मुन्ना उरांव को उसका जीजा बालेश्वर उरांव ने उत्तर प्रदेश के बनारस में ले जाकर एक ईंट भट्ठा के मालिक से 50 हजार रुपये में बेच दिया था। ईंट भट्टा  मालिक से 50 हजार रुपये लेकर मुन्ना का जीजा बालेश्वर वापस अपने गांव लौट गया। पांच महीने तक मुन्ना उरांव वहां फंसा रहा। इस दौरान ईंट भट्ठा मालिक ने उस पर काफी जुल्म ढाया। उसने कई बार वहां से भागने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सका।   


फिर एक दिन मुन्ना ने वहां काम कर रहे मजदूर के मोबाइल से घर पर फोन लगाया। जब उसकी परिवार के सदस्यों से बात हुई तब उसने पूरी बात उन्हें बतायी। उसकी बात सुनकर परिजनों के आंसू थमने का नहीं ले रहा था। परिजनों ने इस बात की जानकारी अपने मुखिया आदित्य भगत को दी। जब सभी बनारस पहुंचे और ईंट भट्टा पर जाकर मुन्ना की खोजबीन की तब उसका कोई पता नहीं चल सका।


जिसके बाद इस बात की जानकारी राज्यसभा सांसद समीर उरांव को दी गयी। सांसद ने उत्तर प्रदेश के बीजेपी एसटी मोर्चा के पदाधिकारियों से संपर्क साधा। मौके पर पहुंचे बीजेपी एसटी मोर्चा के पदाधिकारियों ने मुन्ना को ईंट भट्टा के पास एक कमरे में बंद पाया। जिसके बाद उसे मुक्त कराया गया जिसके बाद मुन्ना को लेकर परिजन गुमला पहुंचे। 


गुमला पहुंचने के बाद मुन्ना ने अपनी आपबीती परिजनों को सुनाई। मुन्ना ने बताया कि उसका जीजा बालेश्वर उरांव ने महज पचास हजार रुपये की खातिर उसे ईंट भट्टा मालिक के हाथों बेच दिया था। इस दौरान उसने वहां से भागने के कोशिश भी की लेकिन उसमें वह कामयाब नहीं हो सका। ईंट भट्टा मालिक के गुर्गे उससे दिन भर काम कराते थे और शाम होते ही उसे कमरे में बंद कर देते थे। यही नहीं उससे रात में भी काम कराया जाता था। 


दिन रात काम करते करते उसकी हालत बिगड़ गयी थी। काम नहीं करने पर उस पर जुल्म ढाये जाते थे। पांच महीने से वह कमरे में बंद था उसे किसी से भी मिलने नहीं दिया जाता था। लेकिन एक दिन वहां काम कर रहे मजदूर की मोबाइल किसी तरह उसके हाथ लग गयी जिसके बाद उसने अपनी आपबीती परिजनों को सुनाई। सांसद समीर उरांव की पहल से आज मुन्ना अपने घर पहुंच चुका है। 


घर के लोग उसकी कुशल वापसी से काफी खुश है और इसे लेकर सांसद समीर उरांव को धन्यवाद दे रहे हैं। मुन्ना का जीजा फिलहाल फरार है उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है। मुन्ना की बातों को सुनकर इलाके के लोग भी सकते में हैं। लोगों में इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या कोई जीजा इस तरह की हरकत करेगा उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। वही मुन्ना के परिजन भी उसके जीजा बालेश्वर उरांव की इस करतूत से हैरान हैं।