GIRIDIH: गिरिडीह के पारसनाथ में मंगलवार को आदिवासी समाज के लोगों का महाजुटान हुआ। अपनी मांग को लेकर आदिवासी समाज के लोगों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस रैली में रामगढ़, हजारीबाग, दुमका, बोकारो, लोहरदगा समेत कई जिलों से आए सैकड़ों लोग शामिल हुए।
आदिवासी समाज के लोग अपने मरांड बुरू को लेकर मंगलवार की सुबह से ही पारसनाथ पर्वत पर जुटने लगे। पारंपरिक हथियारों के साथ पहुंचे आदिवासियों ने सबसे पहले मरांड बुरू दिशोम मांझी थान की पूजा अर्चना की इसके बाद रैली में शामिल हुए। आदिवासियों के महाजुटान को लेकर पूरे इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, पुलिस ने पूरे इलाके में फ्लैग मार्च किया। गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि आदिवासियों के महाजुटान को लेकर मधुबन में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
महाजुटान में शामिल हुए जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम, पूर्व मंत्री गीता श्री उरांव और सालखन मुर्मू ने रैली को संबोधित किया। गीता श्री उरांव ने कहा कि पारसनाथ पहाड़ आदिवासी समाज के लिए आस्था का केंद्र है मरांड बुरू है। अंग्रेजों के जमाने में भी इसे आदिवासी समाज के लिए चिन्ह्रित किया गया था। आदिवासी समाज ने हमेशा दूसरो का सम्मान किया है लेकिन अब बहुत हो गया है। जैन समाज के लोग चाह रहे है कि पारसनाथ में उनके हिसाब से काम हो, ये हो नहीं सकता। जैन समाज का इतिहास भी यहां इतना पुराना नहीं है, व्यवसायी के रूप में यहां आकर बसे और पैसे के बल पर ये हमारे विरासत पर अतिक्रमण कर रहे है। इस महाजुटान के माध्यम से हमने अपना विरोध जताते हुए केंद्र और राज्य सरकार को संदेश दिया है।
इससे पहले सम्मेद शिखरजी पारसनाथ को तीर्थस्थल घोषित करने की मांग को लेकर जैन समाज के लोगों ने पिछले सप्ताह प्रदर्शन किया था। पारसनाथ को टूरिस्ट प्लेस बनाने के विरोध में जैन समाज के लोगों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। कई दिनों तक चले प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने जैन समाज की मांग को मानते हुए 2019 के अधिसूचना को वापस लेने का फैसला किया था। पारसनाथ की विरासत को लेकर अब जैन समाज और आदिवासी समाज आमने सामने आ गए है। इस नये विवाद से केंद्र और राज्य सरकार पर एक बार फिर दवाब बन रहा है।