DESK : शराब के धंधे में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए बैंक का डिप्टी मैनेजर ही बैंक में हुई सेंधमारी का मास्टरमाइंड निकला. बताया जा रहा है कि डिप्टी मैनेजर ही लॉकर से गहने निकालता था और आभूषण कारोबारियों के पास 3% ब्याज पर गिरवी रख देता था. उससे मिले पैसे को बाजार में 5% ब्याज पर दे देता था. अब पुलिस ने इस मामले का खुलासा करते हुए डिप्टी मैनेजर को हिरासत में ले लिया है. आरोपी डिप्टी मैनेजर ने खुद इस कांड का मास्टरमाइंड होने की बात को स्वीकार किया है.
मामला झारखंड के पलामू का है. आरोपी प्रशांत कुमार मेदिनीनगर के धर्मशाला रोड स्थित यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (अब पंजाब नेशनल बैंक में मर्ज हो गया है) में पदस्थ है. पुलिस ने बताया कि डिप्टी मैनेजर प्रशांत ने लॉकडाउन का गलत फायदा उठाया है. इस दौरान बैंक में इक्के-दुक्के ग्राहक आते थे. इसी समय लॉकर को तुड़वाकर उसमें से गहने उड़ा लिए.
डिप्टी मैनेजर गायब गहनों को स्वर्ण कारोबारियों के पास 3 प्रतिशत के ब्याज दर पर गिरवी रखता था और उससे मिले पैसे को वह पांच प्रतिशत ब्याज पर लगाता था. इस मामले में शहर के कुछ स्वर्ण व्यवसायियों को भी हिरासत में लिया गया है.
डिप्टी मैनेजर ने पुलिस को बताया है कि शराब के धंधे में उसे 40 लाख रुपए का नुकसान हुआ था. इसकी भरपाई के लिए उसने लॉकर से गहने चुराए. पुलिस जांच कर रही है कि और कितने ग्राहकों के लॉकर से छेड़छाड़ की गई है.
मामले की जानकारी तब मिली जब कृषि वैज्ञानिक डॉ. अशोक सिन्हा 10 दिन पहले जब अपना लॉकर खोलने गए तो उनके पास जो चाबी थी, उससे लॉकर नहीं खुला. इसके बाद बैंक मैनेजर गन्धर्व कुमार ने लॉकर तुड़वाने के लिए तकनीशियन को बुलाया. जब लॉकर टूटा तो उसमें सिर्फ चांदी के जेवर थे, सोने के जेवर नहीं मिले. इस खबर के बाद बैंक में लॉकर रखने वाले ग्राहक आने लगे. कुछ ग्राहकों का लॉकर उनकी चाबी से खुल गया. जबकि, चार ग्राहकों के लॉकर नहीं खुले.
चार ग्राहकों का लॉकर नहीं खुलने पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पुलिस ने लॉकर को तुड़वाया. लॉकर टूटते ही वहां मौजूद चारों ग्राहक डॉ. जय कुमार, शिक्षक रमण किशोर, एनपीयू कर्मी राजीव मुखर्जी और वेद प्रकाश शुक्ला के होश उड़ गए. उनके लॉकर से सोने के सारे जेवरात गायब कर दिए गए थे. फिलहाल पूरे मामले में एसपी चंदन कुमार सिन्हा खुद नेतृत्व संभाल कर जांच कर रहे हैं. उन्होंने कई अहम खुलासा होने के बात कही है.