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JDU की हार के पीछे केवल चिराग नहीं, हवा-हवाई संगठन ने किया बेड़ागर्क

1st Bihar Published by: Updated Mon, 30 Nov 2020 06:57:09 PM IST

JDU की हार के पीछे केवल चिराग नहीं, हवा-हवाई संगठन ने किया बेड़ागर्क

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PATNA : विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार भले ही एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हो लेकिन उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. 2015 के आंकड़ों से नीचे लुढ़क कर 43 विधानसभा सीटों पर जा टिकी है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से नीतीश कुमार और उनकी कोर कमेटी के नेता इस हार की समीक्षा अपने स्तर से करने में जुटे हुए हैं. पार्टी जल्द ही हारे हुए उम्मीदवारों को बुलाकर उनसे भी बातचीत करने की तैयारी में है. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि दिसंबर के महीने में हारे हुए कैंडिडेट को बुलाकर हम चुनाव परिणामों की समीक्षा करेंगे.


हार की समीक्षा के लिए जेडीयू के नेताओं ने आंकड़ों को जुटाने का काम पूरा कर लिया है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में हार के लिए केवल बीजेपी के कैंडिडेट ही जिम्मेदार नहीं रहे हैं. कई सीटों पर जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवारों को इतने बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा जितने वोट बीजेपी के उम्मीदवारों को नहीं आए. पार्टी यह मान कर चल रही है कि ऐसे विधानसभा सीटों में संगठन हवा हवाई रह गया. पार्टी के साथ संगठन में नेता और कार्यकर्ता तो जुड़े लेकिन जमीनी स्तर पर वह एक्सरसाइज नहीं किया जा सका, जिसकी चुनाव के लिए आवश्यकता थी.


फर्स्ट बिहार को मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे सीटों में कुछ के उदाहरण सामने है. मतलब डुमरांव विधानसभा सीट पर जेडी उम्मीदवार को कुल 46905 वोट आए जबकि इस सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को महज 6474 वोट मिले. फिर भी इस सीट पर माले ने जेडीयू उम्मीदवार को तकरीबन 25000 वोट से से शिकस्त दी. यह सीट पहले जेडीयू के कब्जे में थी. कभी ददन पहलवान यहां से जेडीयू के विधायक थे लेकिन उनके विधायक रहने के बावजूद यहां संगठन मजबूती से खड़ा नहीं हो सका हालांकि ज्यादातर सीटें ऐसी हैं, जहां एलजेपी के उम्मीदवार में जेडीयू को हार के दरवाजे तक पहुंचा दिया.


एकमा विधानसभा सीट पर लगातार बाहुबली समझे जाने वाले मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह जेडीयू के विधायक रहे. इस बार पार्टी ने उनकी पत्नी सीता देवी को यहां से उम्मीदवार बनाया लेकिन इसके बावजूद वह हार गए. आरजेडी के श्रीकांत यादव इस सीट पर विजई हुए लेकिन एलजेपी के कामेश्वर कुमार सिंह ने यहां 29 हजार से ज्यादा वोट लाकर जेडीयू उम्मीदवार को हाल की चौखट तक पहुंचा दिया.


पार्टी लगातार इस बात पर मंथन कर रही है कि ऐसी विधानसभा सीटें जहां पुराने और बाहुबली समझे जाने वाले चेहरे सक्रिय हैं, वह संगठन धारदार नहीं हो पाया है. किसी खास चेहरे के पीछे पार्टी ऐसी सीटों पर चलती रही है और संगठन पर किसी ने खास तवज्जो नहीं दिया. अब जनता दल यूनाइटेड  ऐसी सीटों को शॉर्टलिस्ट कर, वहां वर्कआउट करने की तैयारी में है. पार्टी का एजेंडा है कि अब संगठन ही सर्वोपरि होगा ना कि किसी इलाके में कोई खास चेहरा.