जातीय जनगणना पर बोले सीएम नीतीश, हम चाहते हैं जातीय जनगणना हो लेकिन पीएम से नहीं मिला जवाब

जातीय जनगणना पर बोले सीएम नीतीश, हम चाहते हैं जातीय जनगणना हो लेकिन पीएम से नहीं मिला जवाब

PATNA: जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश ने पत्रकारों से बातचीत की। जातीय जनगणना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि जाति आधारित जनगणना हो जाए। जातीय जनगणना हमारी पुरानी मांग है। एक बार इस तरह की जनगणना हो जाएगी तो पता चल जाएगा कि किस जाति के लोगों की देश में क्या स्थिति है। जातीय जनगणना सभी के हित के लिए हैं। यह देश के भले के लिए है। अब इस बारे में निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। अभी प्रधानमंत्री की तरफ से जवाब नहीं मिला है। 


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर सोमवार को जनता दरबार लगाते हैं। आज भी जनता दरबार लगाया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने फरियादियों की शिकायतें सुनी और उचित कार्रवाई का निर्देश अधिकारियों को दिए। जनता दरबार खत्म होने के बाद सीएम नीतीश मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना कराने पर एक बार फिर जोर दिया। सीएम नीतीश ने कहा कि हम जातीय जनगणना कराना चाहते हैं और यह हमारी पुरानी मांग है। नीतीश कुमार ने आगे कहा कि इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। इस पत्र का हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। जाति आधारित जनगणना से सभी जातियों को मदद मिलेगी और उनकी सही संख्या पता चल सकेगी। इसके आधार पर नीतियां बनाई जा सकेंगी।  


सीएम नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखे हैं। हम चाहते है जातीगत जनगणना हो। यह हमारी पुरानी मांग भी है। विधानसभा और विधान परिषद में  2019 में सर्वसम्मिति से यह पारित हुई। 2020 में विधानसभा में दोबारा सर्वसम्मति से यह पारित हुआ। जातीय जनगणना की हम तो हमेशा बात करते हैं।  जातीय आधारित जनगणना से एक-एक चीज की जानकारी होगी। किस जाति की क्या स्थिति है। सभी जातियों का पूरा फिगर प्राप्त हो जाएगा। हमलोगों की इच्छा भी यही है। 1990 से हमलोगों के मन में यह बात आई थी। हमने इसके लिए पीएम मोदी को भी पत्र लिखा है। पत्र के जरिए उन्होंने जातीय जनगणना की बात को रखा है अब इस पर निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। यह सामाजिक हित की बात है।


CM नीतीश ने कहा कि उन्होंने PM मोदी को बीते दिनों चिट्ठी लिखी है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। इस मसले को गम्भीरता से लेना होगा। पिछली जातीय जनगणना 1931 में हुई थी। उसके बाद कभी जातीय जनगणना नहीं हुई है, जबकि अभी के दौर में ये कराना बेहद जरूरी है। जातीय जनगणना कराने से कई फायदे हैं। इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सी जाति की क्या स्थिति है? उसके विकास के लिए काम किया जा सकता है। अभी भी समाज में कई ऐसे तबके हैं, जो विकास से दूर हैं। यह जातीय जनगणना में पता चल जाएगा'