PATNA: बिहार में सोमवार को सरकार द्वारा जारी किए गए जातीय गणना के आंकड़ों को लेकर सियासत तेज हो गई है। एक तरफ जहां सरकार और सत्ताधारी दल इसे अपनी उलब्धि बता रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ जातीय गणना के आंकड़ों पर सवाल भी उठने लगे हैं। इसी बीच सीएम नीतीश ने आंकड़ों पर चर्चा के लिए सभी दलों की बैठक बुलाई है। मंगलवार को होनेवाली ऑल पार्टी मीटिंग में जातीय गणना के आंकड़ों पर चर्चा होगी। इस बैठक में बिहार के 9 दलों के नेता शामिल होंगे।
सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी दलों के लोगों के सामने जातीय गणना से संबंधित आंकड़ों का प्रेजेंटेशन देंगे। जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा था कि राज्य सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट जारी कर दी है लेकिन आगे क्या कदम उठाया जायेगा, इस पर अभी कुछ नहीं बोलेंगे। मंगलवार को बिहार के सारे राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी गयी है। उस बैठक में राज्य सरकार के अधिकारी जातीय जनगणना पर प्रेजेंटेशन देंगे। उसके बाद आगे का फैसला लिया जायेगा।
उधर, जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के साथ ही इसको लेकर सियासत भी तेज हो गई है। एक तरफ जहां बिहार की सत्ता में साझेदार बने लालू ने जिसनी जिसकी संख्या, उतनी उसकी हिस्सेदारी की माग उठा दी है तो वहीं बीजेपी ने आंकड़ों के अध्ययन की बात कही है। उधर, एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जातीय गणना के आंकड़ों को फर्जी करार दे दिया है और कहा है कि रिपोर्ट के हड़बड़ी में पेश किया गया है और उसमे बहुत खामियां हैं।
बता दें कि जातीय गणना के लिए सभी 9 दलों की सहमति के बाद बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित किया गया था। केंद्र सरकार द्वारा जातीय गणना से इनकार करने के बाद बिहार सरकार ने अपने बूते पर जातीय गणना कराने का फैसला लिया था। 2 जून 2022 को कैबिनेट से इसकी स्वीकृति दी गई थी। इस बीच हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुंचा था और इसको लेकर राजनीति भी खूब हुई थी लेकिन कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई और आखिरकार आंकड़ों को जारी कर दिया हालांकि आंकड़ों के जारी होने के साथ ही इसपर विवाद भी शुरू हो गया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में जातीय गणना के आंकड़ों को लेकर बिहार की सियासत गरमाएगी।