जातीय जनगणना विवाद: क्या BJP को फंसाने की चाल चल रहे हैं नीतीश कुमार?

 जातीय जनगणना विवाद: क्या BJP को फंसाने की चाल चल रहे हैं नीतीश कुमार?

PATNA : केंद्र में राज कर रही बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी जेडीयू है. लेकिन जेडीयू के नेता औऱ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्र सरकार के समक्ष अपनी डिमांड रखने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया का सहारा क्यों लेना पडा. नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के मामले में जो कदम उठाया है उससे यही मैसेज जा रहा है कि उनकी मंशा अपनी मांग पूरा कराने की कम सहयोगी पार्टी बीजेपी को फंसाने की ज्यादा है.


जातीय जनगणना पर विवाद
दरअसल जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सियासी घमासान छिड़ा है. केंद्र सरकार ने जनगणना शुरू करने का एलान किया है. कायदे से तो जनगणना पूरी हो जानी चाहिये थी लेकिन कोरोना के कारण देर हुई. केंद्र सरकार ने जनगणना को लेकर जो घोषणा किया है उसमें कहा है कि जनगणना के दौरान एससी-एसटी तबके के लोगों की भी गणना की जायेगी. लेकिन बिहार की पार्टियां जातीय आधार पर जनगणना की मांग कर रही हैं. यानि कि जनगणना के दौरान सरकार इसका भी रिकार्ड बनाये कि किस जाति के कितने लोग हैं. फिर जातिवार लोगों की तादाद बतायी जाये.


बिहार में राष्ट्रीय जनता दल जातीय जनगणना की डिमांड काफी पहले से करता रहा है. पहले लालू यादव और अब तेजस्वी यादव जाति के हिसाब से लोगों की गणना करने की मांग कर रहे हैं. वैसे जातीय जनगणना के पक्षधर नीतीश कुमार भी हैं. नीतीश कुमार ने 2019 और 2020 में दो दफे बिहार विधानमंडल से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेज रखा है कि देश में जाति के आधार पर जनगणना करायी जाये. बिहार विधानमंडल से दोनों दफे सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुए थे औऱ इसका समर्थन बीजेपी ने भी किया था. लेकिन जब केंद्र सरकार ने जाति के आधार पर जनगणना कराने से इंकार कर दिया तो बिहार बीजेपी के नेता चुप बैठ गये हैं.


बीजेपी को फंसाना चाहते हैं नीतीश?
उधर जातिगत जनगणना की मांग को राजद ने बड़ा मुद्दा बना लिया है. तेजस्वी यादव समेत राजद के तमाम नेता लगातार बयान दे रहे हैं. नीतीश कुमार ने आज इसी बीच मास्टरस्ट्रोक खेला. नीतीश कुमार ने आज मीडिया के जरिये केंद्र सरकार से मांग कर दी कि वह जाति के आधार पर जनगणना कराये. नीतीश ने मीडिया को बयान दिया. ट्वीट भी किया. ट्वीटर पर उन्होंने लिखा “हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार विधान मंडल ने दिनांक-18.02.19 एवं पुनः बिहार विधान सभा ने दिनांक-27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केन्द्र सरकार को भेजा गया था. केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए.”


मीडिया के जरिये क्यों मांग रख रहे हैं नीतीश कुमार
सियासी गलियारे में सवाल ये उठ रहा है अगर नीतीश कुमार को अपने ही गठबंधन की सरकार से कोई मांग रखन है तो मीडिया का सहारा क्यों ले रहे हैं. अगर नीतीश की नजर में जातीय जनगणना जरूरी है तो वे सीधे प्रधानमंत्री या देश के गृह मंत्री अमित शाह से बात कर अपनी मांग रख सकते थे. लेकिन प्रधानमंत्री या गृहमंत्री से बात करने के बजाय नीतीश मीडिया के जरिये मांग रख रहे हैं.


सियासी जानकारों के मुताबिक जो भी दल जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं उनकी नजर पिछडा औऱ अति पिछड़ा तबके के वोट बैंक पर है. बिहार में राजद औऱ जदयू दोनों इसी वोट बैंक की राजनीति करते रहे हैं. लेकिन पिछले कई चुनावो में बीजेपी ने पिछडे तबके का अच्छा खासा वोट अपने पाले में लाने में सफलता पायी है. ऐसे में नीतीश कुमार मीडिया के जरिये जातीय जनगणना की मांग कर न सिर्फ अपनी सियासत को ठीक रखना चाहते हैं बल्कि बीजेपी को कठघरे में भी खडा करना चाह रहे हैं. वे वोटरों को ये मैसेज देना चाह रहे हैं कि अगर जाति के आधार पर जनगणना नहीं हो रही है तो इसके लिए जिम्मेवार सिर्फ बीजेपी है. जेडीयू तो इसकी मांग कर ही रहा था.


तेजस्वी का तीखा सवाल
वैसे नीतीश कुमार की इस पॉलिटिक्स को समझ रहे राजद नेता तेजस्वी यादव ने उन पर तीखा हमला बोला है. तेजस्वी ने ट्वीट किया है “माननीय मुख्यमंत्री जी, केंद्र सरकार अगर जातीय जनगणना पर पुनर्विचार नहीं करेगी तो आप क्या करेंगे? हमारी माँग पर बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से जातिगत जनगणना का प्रस्ताव पारित किया गया था. केंद्र सरकार में आपकी हिस्सेदारी है. आपके कैबिनेट मंत्री है फिर भी अनुनय विनय कर रहे है?”


उधर राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने भी नीतीश कुमार पर हमला बोला है. श्याम रजक ने कहा है कि अगर नीतीश कुमार को जातीय जनगणना की इतनी ही फिक्र है तो वे सीधे प्रधानमंत्री से बात करें. अगर फिर भी उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वे बीजेपी से गठबंधन तोड़ें. श्याम रजक ने कहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के इशारे पर जनता को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं. चित भी मेरी औऱ पट भी मेरी. लेकिन वे बिहार की जनता को मूर्ख समझने की बड़ी भूल कर रहे हैं.