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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 03 Jul 2025 02:57:37 PM IST
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Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठे हैं। जिले के मनियारी थाना की पुलिस पर एक निर्दोष युवक को झूठे शराब के मामले में फंसाकर जेल भेजने का आरोप सामने आया है। इस पूरे घटनाक्रम का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला सामने आने के बाद डीआईजी चंदन कुमार कुशवाहा ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और ग्रामीण एसपी ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी डीएसपी पश्चिमी-2 एनिमेश चंद्र ज्ञानी को सौंपी है।
दरअसल, पीड़ित युवक संजीव कुमार, जो रतनौली गांव का निवासी है और पेशे से टीवी-फ्रिज मैकेनिक है, ने पटना स्थित डीजीपी के जनता दरबार में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के साथ उसने कथित सीसीटीवी फुटेज भी सौंपा है, जिसमें पुलिस की संदिग्ध गतिविधियां कैद हैं। वायरल वीडियो के अनुसार, मनियारी थाना की पुलिस संजीव की बाइक पर एक झोला लटकाती हुई दिख रही है, जिसमें शराब की बोतल थी। इसके तुरंत बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना 21 जून की रात की बताई जा रही है।
संजीव के खिलाफ दर्ज एफआईआर में तत्कालीन दारोगा जयशंकर यादव ने कहा कि वह रात करीब 10 बजे अमरख गांव में शिव मंदिर के पास वाहन जांच अभियान चला रहे थे। उसी दौरान एक बाइक सवार तेजी से आता दिखा और पुलिस को देखकर भागने लगा। उसे खदेड़ कर पकड़ा गया और तलाशी में उसकी बाइक की हैंडल पर लगे झोले से एक स्प्रिट की बोतल बरामद हुई। एफआईआर के अनुसार, संजीव कुमार ने कबूल किया कि वह शराब लेकर जा रहा था। सिपाही लंबोदर कुमार और महिला सिपाही प्रीति कुमारी को स्वतंत्र साक्षी बनाकर जब्ती सूची तैयार की गई।
वहीं, वायरल हुए सीसीटीवी फुटेज में कुछ अलग ही सच्चाई सामने आ रही है। फुटेज के अनुसार, 21 जून की रात मनियारी थाना की बोलेरो गाड़ी अमरख गांव के एक मकान के सामने पोल के पास रुकती है। इसके बाद बाइक पर दो लोग वहां पहुंचते हैं। कुछ ही देर में बोलेरो से पुलिसकर्मी उतरते हैं और एक चौकीदार, जो काले गमछे में दिख रहा है, बोलेरो से एक झोला निकालकर संजीव की बाइक के हैंडल पर लटका देता है। इसके बाद संजीव को बाइक के पास खड़ा किया जाता है और एक दारोगा तलाशी के बहाने झोले से शराब बरामद करता है। इसके बाद मौके पर फोटो खींचकर उसे शराब के फर्जी केस में फंसा दिया जाता है।
संजीव का दावा है कि उसे गांव से ही पुलिसकर्मियों ने पकड़ लिया था और उसके खिलाफ सोची-समझी साजिश के तहत झूठा केस दर्ज किया गया। उसने बताया कि वह निर्दोष है और मनियारी थाने की पुलिस ने साजिश के तहत बाइक में झोला लटकाकर फर्जी जब्ती की। वहीं मनियारी थानेदार देवब्रत कुमार का कहना है कि संजीव को उन्होंने नहीं, बल्कि तत्कालीन दारोगा जयशंकर यादव ने गिरफ्तार किया था। एफआईआर भी उन्हीं के आवेदन पर दर्ज की गई है।
इस पूरे मामले में कोर्ट ने संजीव को बेल दे दी है। हालांकि, वायरल हुए वीडियो की लाइव हिंदुस्तान पुष्टि नहीं करता है। फिलहाल जांच अधिकारी डीएसपी एनिमेश चंद्र ज्ञानी इस पूरे मामले की गहन जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी। अगर वायरल वीडियो सत्य पाया गया, तो संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस के भरोसे और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अगर सीसीटीवी फुटेज सही साबित होता है, तो यह कानून के रखवालों द्वारा कानून के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण होगा। प्रशासन से उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी, ताकि आम जनता का पुलिस पर से विश्वास पूरी तरह न उठे।