जातिगत जनगणना को लेकर लालू ने फिर बोला BJP/RSS पर हमला, पूछा- पिछड़ों और अतिपिछड़ों से इतनी नफरत क्योंं?

जातिगत जनगणना को लेकर लालू ने फिर बोला BJP/RSS पर हमला, पूछा- पिछड़ों और अतिपिछड़ों से इतनी नफरत क्योंं?

DESK: जातिगत जनगणना से केंद्र के इनकार के बाद लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर से बीजेपी और आरएसएस पर बड़ा हमला बोला है। आरजेडी सुप्रीमो ने सवाल किया कि पिछड़ों और अतिपिछड़ों से बीजेपी और आरएसएस को इतनी नफरत क्यों हैं?


लालू प्रसाद ने कहा कि जातिगत जनगणना राष्ट्र निर्माण की महत्वपूर्ण पहल है। भाजपा चाहती है कि देश में आर्थिक, सामाजिक असमानता बनी रहे ताकि मुट्ठी भर लोग देश की बहुसंख्यक आबादी का हक, अधिकार और हिस्सा खाते रहे और संसाधनों पर कुंडली मारे बैठे रहें। लालू ने जातीय जनगणना को लेकर एक ट्वीट किया और बीजेपी पर जमकर हमला बोला। इससे पहले भी लालू ने एक सवाल किया था कि पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों हैं? 


जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार के स्टैंड के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पहले भी कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। लालू ने पिछले दिनों यह कहा था कि वाह! जानवरों और पेड़ों की गिनती की जा सकती है लेकिन पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के इंसानों की गिनती नहीं की जा सकती। पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों है ऐसे सरकार और इन वर्गों के मंत्रियों और सांसदों का बहिष्कार होना चाहिए। 


शनिवार को एक बार फिर लालू बीजेपी और आरएसएस पर हमलावर दिखे। लालू यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "BJP/RSS को पिछड़ों-अतिपिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों है?  जातिगत जनगणना राष्ट्र निर्माण की महत्वपूर्ण पहल है। भाजपा चाहती है कि देश में आर्थिक, सामाजिक असमानता बनी रहे ताकि मुट्ठी भर लोग देश की बहुसंख्यक आबादी का हक, अधिकार और हिस्सा खाते रहे और संसाधनों पर कुंडली मारे बैठे रहें।'





गौरतलब है कि राजद नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश के 33 नेताओं को पत्र लिखा है। जिसमें कहा है कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर उदासीन और नकारात्मक रवैया अपना रही है। जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक जरूरी कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना ना कराने को लेकर बीजेपी के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है। 


तेजस्वी यादव ने जातिगत जनगणना को लेकर देश के 33 दलों के नेताओं को पत्र लिया है। तेजस्वी ने सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, मायावती, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, सीताराम येचुरी, डी राजा, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, प्रकाश सिंह बादल, दीपांकर भट्टाचार्य, उद्धव ठाकरे, के.चंद्रशेखर राव, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, महबूबा मुफ्ती, हेमंत सोरेन, पिनरई विजयन, अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी, ओम प्रकाश चौटाला, जीतन राम मांझी, मौलाना बदरुद्दीन अजमल, जयंत चौधरी, ओ पनीर सेल्वम, ओमप्रकाश राजवीर, चिराग पासवान, अख्तरुल इमान, मुकेश सहनी और चंद्रशेखर आजाद को पत्र लिखा है।  


केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह कहा गया है कि सरकार पिछड़ी जातियों की जनगणना करवाने के लिए तैयार नहीं है। इससे प्रशासनिक परेशानियां उत्पन्न होंगी। कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार का कहना है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 अशुद्धियों से भरी हुई है। SECC-2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है। जातीय जनगणना पर केंद्र की ना के बाद बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।