PATNA: जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी को लेकर पटना जिला परिषद की अध्यक्ष कुमारी स्तुति के खिलाफ पटना एडीएम ने कार्रवाई की अनुशंसा की है। जिसके बाद कुमारी स्तुति मीडिया के सामने आईं और इस संबंध में अपनी बातें रखी। स्तुति ने कहा कि आज हम जीत गये है तो विपक्ष के द्वारा ऊंगली उठाई जा रही है। चुनाव से पहले जब नामांकन होता है उसी वक्त स्क्रूटनी किए जाते है उस वक्त यह बता दिया जाता तो यह गलतियां नहीं होती।
बता दें कि पटना एडीएम ने जिला पंचायत राज पदाधिकारी को पत्र लिखा था। इस पत्र में स्तुति के जाति प्रमाण पत्र में पिता के नाम और पता में गड़बड़ी का जिक्र किया गया था।
दरअसल पटना जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी अति पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। लिहाजा इस पद के लिए उम्मीदवारी करने वाली महिला जिला पार्षद को नामांकन के समय जाति प्रमाण पत्र देना होता है। पटना के एडीएम ने स्तुति के कागजातों की जांच के बाद पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि कुमारी स्तुति ने तीन जगह से जारी प्रमाण पत्र जांच के दौरान दिया था।
एक प्रमाण पत्र पटना के संपतचक प्रखंड से जारी किया गया था। इसमें पिता के नाम की जगह पति रवींद्र कुमार का नाम लिखा हुआ है। स्तुति ने बिहारशरीफ प्रखंड और अंचल कार्यालय से जारी प्रमाण पत्र दिया है। जिसमें पिता के रूप में मुन्नीलाल साव का नाम दर्ज है। बता दें कि हिन्दू मैरेज एक्ट के तहत किसी महिला की जाति वही मानी जाती है जो उसके पिता की जाति होती है। भले ही वह किसी जाति के लड़के से शादी करे, उसकी जाति वही रहेगी जो पिता की जाति थी।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही कुमारी स्तुति पटना जिला परिषद की अध्यक्ष चुनी गयी थीं. उन्होंने जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष अंजू देवी को हराया था। पटना एडीएम ने कहा कि सभी प्रमाण पत्रों की जांच से पता चलता है कि एक ही व्यक्ति के जाति प्रमाण पत्र में पिता के नाम अलग-अलग हैं। एडीएम ने इसे नियमानुकूल नहीं मानते हुए कार्रवाई की अनुशंसा कर दी।
इस मामले में जिला परिषद अध्यक्ष कुमारी स्तुति ने अपना पक्ष रखा है। स्तुति ने कहा कि वो तेली समुदाय से आती है। 2012 के बाद यह जाति EBC में आ गया। पहले वे ओबीसी में थी। स्तुति ने बताया कि किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है। एडीएम साहब को ऐसा नहीं करना चाहिए था। लड़की की जाति उसके पिता से जानी जाती है। 2016 के जाति प्रमाण पत्र में पिता का नाम सही है। जबकि 2021 में बने जाति प्रमाण पत्र में पिता की जगह पति का नाम लिखा हुआ है। सब कुछ 2016 में बने जातीय के अनुसार है। लेकिन पिता के नाम की जगह पति का नाम लिखा हुआ है। यह कंप्यूटर मिस्टेक है।
एडीएम साहब को एक बार भेरिफाई करना चाहिए था। उन्हें मिलना चाहिए था बात करनी चाहिए थी। एडीएम साहब का कहना है कि फोन नहीं लग रहा था। इतनी हड़बड़ी किस लिए थी। पिता और पति के नाम में कन्फ्यूजन हुआ है तो भेरिफाई करनी चाहिए थी। यह फॉल्ट यदि स्क्रूटनी के दौरान बता दिया जाता तो पहले ही सुधरवा लेती। यह हमारा फॉल्ट नहीं है। संपतचक से जाति प्रमाण पत्र बनाए थे। संपतचक में जब गये तब कहा गया कि सुधार कर निर्वाचन आयोग को दे दिया जाएगा। इसमें जो भी मिस्टेक हुआ उसे लेकर अब परेशानी आ रही है। विपक्ष को पता होना चाहिए बेटी की जाति उसके पिता से जानी जाती है। उनके कहने से जाति कभी नहीं बदल सकती।