JAMUI: बिहार के जमुई जिले में बारिश के बाद बीते दिनों एक पुल धंस गया था। यह पुल बरहट प्रखंड के सोहसा गांव में स्थित था। पुल धंसने से आवागमन की समस्या उत्पन्न हो गयी है। इससे करीब 24 गांव के लोग प्रभावित हो चुके हैं। जमुई जिले के बरहट प्रखंड में बरनार नदी पर बना सोने-चुरहेत काजवे पुल अचानक धंस गया। पानी की तेज बहाव के कारण पुल के तीन से दस नंबर पिलर क्षतिग्रस्त होकर धंस गया। इस क्षतिग्रस्त पुल का निरीक्षण करने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जमुई पहुंचे। इस पुल के निरीक्षण के दौरान मीडिया कर्मियों को न्यूज कवरेज से रोका गया। इसके अलावे ग्रामीणों और जेडीयू समर्थकों को भी पुल के पास जाने से रोका गया।
जिस वजह से मीडिया कर्मी तो अपने दायरे में रहे लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके आलाधिकारियों पर फूट पड़ा। इस दौरान ग्रामीणों ने जिंदाबाद के नारे लगाने के बजाय नीतीश सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के खिलाफ भी जमकर आक्रोश जताया। ग्रामीणों का आरोप था कि उन्हें मुख्यमंत्री के निरीक्षण के दौरान कॉजवे के समीप जाने से रोका गया और जिन पदाधिकारी ने उन्हें रोका उन्हीं के मिलीभगत से यहां कॉजवे पुल के निर्माण में लूट हुई है। पुल के निर्माण में पूरी तरीके से अनियमित बरती गई है।
ग्रामीणों ने कहा कि यहां के सभी पदाधिकारी बालू, दारू और लकड़ी में पैसा लेते हैं। इसलिए किसी ग्रामीणों को मुख्यमंत्री के समक्ष जाने नहीं दिया गया। ग्रामीण मुख्यमंत्री से कुछ बातें करना चाहते थे। अधिकारियों और पदाधिकारियों की पोल ना खुल जाए इसलिए ग्रामीणों को मुख्यमंत्री से मिलने से रोका गया। इसे लेकर लोगों में खासा आक्रोश देखने को मिला। गुस्साएं लोगों ने इस दौरान नीतीश सरकार के खिलाफ जमकर हंगामा मचाया और मुर्दाबाद के नारे लगाये।
बता दें कि जमुई के सोनो प्रखंड के बरनार नदी पर बने चुरहैत कॉजवे पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद बुधवार को कॉजवे पुल का निरीक्षण करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे थे। उनके साथ मंत्री सुमित कुमार सिंह, एमएलसी संजय प्रसाद सिंह, पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद, नव नियुक्त जिलाधिकारी राकेश कुमार, तत्कालीन जिलाधिकारी अवनीश कुमार सिंह, एसपी डॉक्टर शौर्य सुमन, एसडीओ अभय कुमार तिवारी सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी शामिल थे। कॉजवे पुल का निरीक्षण करने के दौरान मीडिया कर्मियों को भी न्यूज़ कवरेज से रोक दिया गया। इसके अलावा ग्रामीणों व समर्थकों को भी कॉजबे के पास जाने और मुख्यमंत्री से मिलने से रोका गया।