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जहरीली शराब से मौत मामले पर फिर बोले शिवानंद, शराबबंदी की जिद्द पर अड़े हैं मुख्यमंत्री

1st Bihar Published by: Updated Sun, 07 Nov 2021 02:43:47 PM IST

जहरीली शराब से मौत मामले पर फिर बोले शिवानंद, शराबबंदी की जिद्द पर अड़े हैं मुख्यमंत्री

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PATNA: बीते दस दिनों के भीतर बिहार में जहरीली शराब से 40 लोगों की मौत हो गयी है। इस घटना ने सरकार के शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गोपालगंज, बेतिया और समस्तीपुर में शराब से मौत के बाद बिहार में राजनीति भी तेज हो गयी है। इसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावार है। इसी क्रम में राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी भी सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। शिवानंद तिवारी ने भी बिहार की शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरीके से फेल है और इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जिद्द पर अड़े हुए हैं। 


राष्ट्रीय जनता दल के वरीय नेता शिवानंद तिवारी का कहना है कि शराबबंदी का फैसला बिना सोचे-समझे लिया गया। पहले देसी शराब को बंद करने की तैयारी थी लेकिन जब विपक्ष के लोगों ने पूर्ण शराबबंदी को लेकर सवाल उठाया तो उसके कुछ दिनों बाद ही पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी। इससे यही लगता है कि शराबबंदी को लेकर कोई तैयारी ही नहीं की गयी थी। शराबबंदी में गरीब लोग ही जेल जा रहे हैं। 


2021 में हुए एक सर्वे का हवाला देते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी होने के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग बिहार में शराब पीते हैं। ऐसे में शराबबंदी का क्या मतलब रह जाता है? जबकि हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर बिहार में शराबबंदी प्रभावी नहीं है। वही शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जिद्द पर अड़े हुए हैं। जबकि इसे लेकर विशेषज्ञों और सभी पार्टी के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री को बैठक करनी चाहिए। शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी के बाद लोग ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं। शराबबंदी के बाद से ड्रग्स की खपत बढ़ गई है। आजकल हर गांव में बेरोजगार युवा ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं। 


पिछले दिनों गोपालगंज और बेतिया में जहरीली शराब से मौत का मामला सामने आने के बाद आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि दुनिया में कहीं भी पूर्ण शराबबंदी सफल नहीं हुई है। आप शराब या नशा को नियंत्रित तो कर सकते हैं लेकिन उसको पूर्ण रूप से समाप्त नहीं कर सकते हैं। नीतीश कुमार लाठी-डंडे के जोर पर बिहार के समाज को साधु और महात्मा बनाना चाहते हैं। दुनिया के किसी समाज में यह अब तक मुमकिन नहीं हुआ है। जानकार बता रहे हैं कि नौजवानों में ड्रग का सेवन तेजी से बढ़ा है लेकिन इसका कोई असर नीतीश कुमार पर नहीं पड़ने वाला है।