जातीय गणना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, पटना HC के फैसले को दी गई है चुनौती

जातीय गणना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, पटना HC के फैसले को दी गई है चुनौती

DELHI : सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली दायर याचिका पर आज यानि बुधवार को सुनवाई करेगा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर प्रकाशित की गई बात सूची में जानकारी दी गई है।


दरअसल, बिहार में चल रहे जाति आधारित सर्वेक्षण को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका आधार किया गया था जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप कर जनगणना के रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने पर रोक लगाए। इसके बाद अब इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख आज यानी 6 सितंबर को तय की गई थी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसबीएन भट्टी की पीठ में चल रही है।


मालूम हो कि इससे पहले केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में दायर अपना हलफनामा वापस ले लिया था जिसमें कहा गया था की जनगणना जैसी प्रक्रिया करने का हकदार केंद्र के अलावा कोई नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री के मंत्रालय में रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा दायर हलफनामा को यह कहते हुए वापस ले लिया गया कि - "संविधान के तहत या अन्यथा ( केंद्र को छोड़कर) कोई अन्य निकाय जनगणना या जनगणना के समान कोई कार्रवाई करने का हकदार नहीं है।" पिछले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह से अधिक की अनुमति दी थी जब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार महतो ने कहा था कि वह संवैधानिक और कानूनी स्थिति को रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं।


शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि- सर्वेक्षण प्रक्रिया गोपनीयता कानून का उल्लंघन करती है और केवल केंद्र सरकार के पास भारत में जनगणना करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास जाति आधारित जनगणना के संचालन पर निर्णय लेने और उसे अधिसूचित करने का कोई अधिकार नहीं है।


आपको बताते चलें कि, नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कहा है कि बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पूरा हो गया है और परिणाम जल्द ही सार्वजनिक हो जाएगा। राज्य जाति सर्वेक्षण प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर समुदाय को 'लिंग' की श्रेणी के बजाय 'जाति' के रूप में वर्गीकृत करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष एक और याचिका दायर की गई है।