PATNA : बिहार में गांधी जयंती के मौके पर जातीय गणना का डाटा जारी किया गया है। इसको लेकर तमाम तरह की सवालें उठाई जा रही है। अब इन आरोप - प्रत्यारोप के बीच विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने जाति आधारित गणना कराने के लिए सीएम नीतीश कुमार जी को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि - यह एक बेहतर कार्य है और हमने शुरू से ही इसका समर्थन किया है।
वहीं, इसको लेकर वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बताया कि बिहार विधानमंडल के 9 दलों के साथ वीआईपी ने भी जाति आधारित गणना कराने का पुरजोर समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना से यह साफ हो गया है कि बिहार में ओबीसी की संख्या 63.14 प्रतिशत है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग की संख्या 36.01 फीसदी है और पिछड़ा वर्ग की संख्या 27.13 फीसदी हैं।
निषाद समाज के सभी उपजातियां, बिन्द, बेलदार, जोनिया, मल्लाह, केवट (कउट), केवर्त, कोल, गोंड, गंगई (गणेश), गंगोता, चार्य, तियर, तुरहा, घिगर, मझवार, मोरियारी, वनपर, गोड़ी (छावी), अमात, घटवार को मिलाकर निषाद समाज की संख्या कुल 9.6450 प्रतिशत हैं, जो कि संख्या के आधार पर बिहार की दूसरी सबसे बड़ी जाति हैं।
देव ज्योति ने नीतीश कुमार से मांग करते हुए कहा कि- निषाद समाज के उपजातियों की सभी जाति कोड को मिलाकर निषादों की संख्या 9.6450% है। इन सभी उपजातियों में बेटी और रोटी का सम्बन्ध है, सभी उपजातियों को एक कोड में रखा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग की संख्या जो 63.14 फीसदी है, इनकी संख्या के आधार पर आरक्षण को बढ़ाया जाए।
वीआईपी प्रवक्ता ने विधानसभा चुनाव, पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव में (अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं पिछड़ा वर्ग ) संख्या के आधार पर समानुपातिक आरक्षण दिए जाने की भी मांग की। उन्होंने हालांकि यह जरूर कहा कि यह जातीय गणना नीतीश कुमार सरकार के लिए बड़ा कदम है। अब जरूरत है उसके आधार पर योजनाओं को बनाने की।