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इस काम के लिए ससुराल से मांगे पैसे तो नहीं चलेगा दहेज का मुकदमा: पटना हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 08 Apr 2024 08:54:45 PM IST

इस काम के लिए ससुराल से मांगे पैसे तो नहीं चलेगा दहेज का मुकदमा: पटना हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

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PATNA: शादी से पहले या शादी के बाद अगर कोई व्यक्ति पत्नी या ससुराल वालों से पैसे की मांग करता है तो वह दहेज की श्रेणी में आता है. दहेज की मांग करने वालों के लिए कानून में सजा का प्रावधान है. लेकिन पटना हाईकोर्ट ने दहेज से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया. 


पटना हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि पति अपने नवजात बच्चे के पालन-पोषण और भरण-पोषण के लिए पत्नी के पैतृक घर से पैसे की  मांग करता है, तो ऐसी मांग दहेज निषेध अधिनियम-1961 के अनुसार दहेज की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है. 


पटना हाईकोर्ट के जस्टिस बिबेक चौधरी की बेंच नरेश पंडित नामक व्यक्ति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने के बाद ये फैसला सुनाया. याचिकाकर्ता नरेश पंडित को निचली अदालत ने दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा चार और आइपीसी की धारा 498ए के तहत दोषी माना था और उसे सजा सुनायी थी. नरेश पंडित ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.


बच्चे के भरण-पोषण के लिए मांगा था पैसा

नरेश पंडित की शादी सृजन देवी नाम की महिला के साथ 1994 में हिंदू रीति-रिवाजों से हुआ था. शादी के उन्हें तीन बच्चे हुए- दो लड़के और एक लड़की. सबसे छोटी लड़की थी, जिसका साल 2001 में हुआ था. 2004 में सृजन देवी ने अपने पति नरेश पंडित के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि बेटी के जन्म के तीन साल बाद नरेश पंडित और उसके रिश्तेदारों ने लड़की की देखभाल और भरण-पोषण के लिए सृजन देवी के पिता से 10 हजार रुपये की मांग की थी. यह भी आरोप लगाया गया कि नरेश पंडित और उसके पारिवार के सदस्यों ने 10 हजार नहीं मिलने पर पत्नी को प्रताड़ित किया. 


हाईकोर्ट में पति नरेश पंडित के वकील ने दलील दी कि पति और परिवार के दूसरे आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पत्नी की ओर से लगाए गए आरोप सामान्य और सर्वव्यापी प्रकृति के हैं और इसलिए उनकी सजा का आदेश रद्द किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट की बेंच ने निचली अदालत के दोषसिद्धि और सजा के फैसले को रद कर दिया और पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार कर लिया.