DESK : रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद का महिना शुरू हो जाता है. इसी महीने की षष्ठी तिथि को बलराम और अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवन श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. यही वजह है कि भाद्रपद के महीने में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. हमारे शास्त्रों और पुराणों में भगवान कृष्ण के जन्म का बहुत सुंदरता से वर्णन किया गया है.
श्रीमद्भगवतगीता में लिखा है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तो उस समय पर रोहिणी नक्षत्र था. इस दिन अर्धरात्रि में सिर्फ भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए चंद्रमा का उदय हुआ था. पर इस बार कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है.ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस साल अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र नहीं पड़ रहा. रोहिणी नक्षत्र एक दिन बाद पड़ रहा है.
दरअसल, भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र होना जरूरी है. हालांकि कई बार ऐसी स्थिति नहीं बन रही है जब अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एकसाथ हों.
पंचांग के अनुसार इस बार 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 06 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को तड़के 03 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा जो 14 अगस्त को सुबह 5 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगा. उदया तिथि के अनुसार सूर्योदय तिथि 12 अगस्त को पड़ेगी इस वजह से वैष्णव समाज( साधू संत) के लोग इस दिन जन्माष्टमी मानाने वाले हैं. पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. मथुरा से लेकर द्वारका तक में जन्माष्टमी का त्योहार 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा. खास बात ये है कि 12 अगस्त को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा.