PATNA : राजधानी पटना स्थित जयप्रभा मेदांता अस्पताल की तरफ से महाधमनी से जुड़ी बिमारी और कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ी सर्जरी के आधुनिक इलाज को लेकर होटल पनाश में सीएमई का आयोजन किया गया। सीएमई का आयोजन आईएमए और मेदांता अस्पताल ने संयुक्त रूप से किया। इस सीएमई में मेदांता अस्पताल पटना के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अन्य डॉक्टरों को महाधमनी से जुड़ी बिमारी और कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ी सर्जरी के आधुनिक इलाज की जानकारी दी।
इस सीएमई में मुख्य अतिथि के तौर पर आईएमए के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि इससे बिहार के अन्य डॉक्टरों को मेडिकल के क्षेत्र में हुए विकास और नई तकनीक से अपडेट होने का मौका मिला है। वहीं कार्यक्रम में पटना के जयप्रभा मेदांता अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. रविशंकर सिंह ने कहा कि मेदांता अस्पताल ने बहुत कम समय में गुणवत्तापूर्ण इलाज देने वाले अस्पताल के तौर पर बिहार में अपनी खास पहचान बना ली है। अब गंभीर मरीजों को दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं है।
मेदांता के आने के बाद बिहार में ही मरीजों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का इलाज मिलने लगा है। उन्होंने कहा कि मेदांता समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए अस्पताल के बाहर के डॉक्टरों को भी आधुनिक इलाज की जानकारी देता है, इसी क्रम में इस सीएमई का आयोजन किया गया था। सीएमई में जयप्रभा मेदांता अस्पताल पटना के कार्डियोवस्कुलर एंड थोरैसिक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. संजय कुमार ने महाधमनी से जुड़ी बीमारियों के बारे में बताया। कहा कि महाधमनी के फटने या संक्रमण जैसी स्थिति में मरीज की तुरंत जान जा सकती है। इसका इलाज जटिल माना जाता है जिसके लिए बिहार के मरीज बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में जाते थे लेकिन अब इसका इलाज जयप्रभा मेदांता अस्पताल पटना में ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि जयप्रभा मेदांता अस्पताल पटना में हार्ट से जुड़ी सभी तरह की बीमारियों का इलाज इंटरनेशनल प्रोटोकॉल के मुताबिक होता है।
सीएमई में डॉ. बिपीन कुमार झा ने कहा कि कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत बड़ी आंत की दीवार के सबसे भीतरी परत में होती है। अधिकांश कोलोरेक्टल कैंसर छोटे पॉलीप्स से शुरू होते हैं।ये पॉलिप्स कोशिकाओं का एक समूह होते हैं। समय के साथ, इनमें से कुछ पॉलीप्स कैंसर में विकसित हो जाते हैं। अगर समय रहते इन पॉलिप्स को निकाल दिया जाए तो बड़ी आंत के कैंसर को बनने से ही रोका जा सकता है।
सीएमई में उन्होंने बावासीर या पाइल्स के आधुनिक इलाज के बारे में बताया। मौजूदा समय में अब बिना चीड़ा लगाए या काटे बावासीर का इलाज संभव है। अब मरीजों को सुबह बुलाया जाता है और इलाज कर के नाम तक घर भेज दिया जाता है। पहले जहां मरीज की सर्जरी करनी पड़ती थी और दो से तीन दिन तक मरीज को अस्पताल में भर्ती रखा जाता था लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं है। अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होने से मरीजों का कम खर्च में इलाज होने लगा है। आधुनिक इलाज से मरीज अब दो दिन बाद ही अपना सारा रोजमर्रा का काम कर सकता है और अपने कार्यालय भी जा सकता है।