चारा घोटाले को पकड़ने वाले आईएएस ने नई शिक्षा नीति बनाने में अहम भूमिका निभाई, अमित खरे की एक और उपलब्धि

चारा घोटाले को पकड़ने वाले आईएएस ने नई शिक्षा नीति बनाने में अहम भूमिका निभाई, अमित खरे की एक और उपलब्धि

DELHI : नब्बे के दशक में बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले को सबसे पहले पकड़ने वाले आईएएस अधिकारी अमित खरे ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अमित खरे जब चाईबासा के डीसी थे तब उन्होंने पशुपालन विभाग में हो रहे गड़बड़झाले को पकड़ा था। इसके बाद जांच आगे बढ़ी और करोड़ों रुपए के चारा घोटाले का उद्भेदन हुआ। झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे इन दिनों केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और देश के अंदर नई शिक्षा नीति बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।


केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति 2020 पर मुहर लगा दी। इस नीति को अमलीजामा पहनाने में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे का महत्वपूर्ण योगदान है। केंद्र सरकार ने उन्हें पिछले साल अक्टूबर में स्कूली शिक्षा विभाग और दिसंबर में उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया था। उन्होंने  मानव संसाधन मंत्रालय में तैनाती के साथ ही नयी शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम किया । विशेषज्ञों, राज्य सरकारों, पंचायत प्रतिनिधियों और आम लोगों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर एक ऐसी शिक्षा नीति को मूर्त रुप दिया है। जिसमें भारतीय परंपराओं, संस्कृति और भाषा का ध्यान रखते हुए बदलते समाज की जरुरतों के हिसाब से बनाया  गया है। नई शिक्षा नीति में बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित करने पर खास फोकस किया गया है। 


अमित खरे के लिए 34 साल बाद लागू हो रहे इस नीति को अंतिम रुप देना आसान नहीं था। उनके सामने एक मुक्म्मल नीति तैयार करने की जिम्मेवारी थी। जो सभी के लिए उपयोगी हो सके। खरे ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनुभवों के आधार पर नीति को ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बनाया है। वे झारखंड के शिक्षा सचिव, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति सहित केंद्री सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। जिसकी वजह से देश की पुरानी शिक्षा नीति से भली भांति परिचित हैं। उनके यह अनुभव इस नीति को बनाने में काम आया। श्री अमित खरे ने बताया कि नई शिक्षा नीति में उच्च शैक्षणिक संस्थानों  में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर जोर दिया गया है। वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा। वहीं स्नातक प्रोग्राम के ढांचा में बदलाव किया जाएगा। अब कोर्स के दौरान कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे। जिसका फायदा विद्यार्थियों को होगा।