बिहार में जाति पर संग्राम: ‘हम तो एक ही ठाकुर को जानते हैं जो वृंदावन में रहते हैं’ RJD सांसद मनोज झा के बयान पर बोले तेजप्रताप

बिहार में जाति पर संग्राम: ‘हम तो एक ही ठाकुर को जानते हैं जो वृंदावन में रहते हैं’ RJD सांसद मनोज झा के बयान पर बोले तेजप्रताप

PATNA: राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान राजद सांसद मनोज झा ने ठाकुरों पर जो कविता पढ़ी थी, उस पर सियासी घमासान बढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां बीजेपी और एनडीए के तमाम दल मनोज झा के उस बयान को लेकर हमलावर हो गए हैं तो वहीं दूसरी तरफ जेडीयू आरजेडी के बचाव में उतर गई है हालांकि मनोज झा के बयान से आरजेडी कोटे से मंत्री तेजप्रताप यादव इत्तेफाक नहीं रखते हैं और उन्होंने दो टूक शब्दों में जवाब दे दिया है। 


तेजप्रताप यादव ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि इंसानियत से बड़ी कोई जाति नहीं होती है और वे सिर्फ एक ही ठाकुर को जानते हैं जो वृंदावन में रहते हैं। तेजप्रताप ने कहा कि इंसानियत से बड़ी कोई जाति नहीं होती है, मैं सिर्फ एक ही ठाकुर को जानता हूं वो वृंदावन में रहते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के जितने भी लोग है, बिना लालू परिवार के उनकी रोटी नहीं पचती है।


तेजप्रताप ने कहा कि भाजपा से कुछ होना जाना नहीं है। पूरे देश में भाजपा से जनता त्राहिमाम कर रही है। भाजपा क्या बोलती है उसे हमको कोई मतलब नहीं है और हमलोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। BJP आरएसएस का उपज है और नाथूराम गोडसे से आरएसएस की उपज हुई है। नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी और बीजेपी हत्यारों की पार्टी है। वहीं सीएम नीतीश और लालू यादव के मुलाकात पर उन्होंने कहा कि हर रोज मुलाकात होती रहती है, इसमें कोई नई बात नहीं है। 


बता दें कि बीते 22 सितंबर को संसद के विशेष सत्र के दौरान सदन में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान आरजेडी के राज्यसभा सांसद ने एक कविता के जरीए ठाकुर जाति को लेकर विवादित बात कह दी थी। कुल 54 शब्द और 19 लाइन की ठाकुर का कुआं वाली कविता पर बिहार में सियासी संग्राम मच गया है। मनोज झा के उस बयान को लेकर खुद आरजेडी में ही घमासान मच गया है। आरजेडी में उच्च जाति के सांसद और विधायक इसे लेकर आमने-आमने आ गये हैं। 


आरजेडी के शिवहर से विधायक और पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने सोशल मीडिया पर जमकर विरोध किया था। चेतन आनंद ने लिखा था कि 'हम 'ठाकुर' हैं! सबको साथ लेकर चलते हैं! समाजवाद में किसी एक जाति को टारगेट करना समाजवाद के नाम पर दोगलापन के अलावा कुछ नहीं! जब हम दूसरों के बारे में गलत नहीं सुन सकते तो अपने (ठाकुरों) पर अभद्र टिप्पणी बिल्कुल नहीं बर्दाश्त करेंगे!'