DELHI : होली में सरकार कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा देने के मूड में है. हर नौकरी-पेशा करने वाले को साल भर इस इंतजार करना पड़ता है कि उसकी सैलरी कब बढ़ेगी. लेकिन अब ऐसा नहीं करना होगा. उनकी तनख्वाह साल में दो बार बढ़ेगी. यानी हर 6 महीने में तनख्वाह बढ़ेगी. इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए यह किसी सौगात से कम नहीं है.
केंद्र सरकार ने महंगाई से निपटने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है. जिसके तहत कर्मचारियों पर बढ़ती महंगाई के बोझ को कम करने के लिए नए महंगाई सूचकांक के हिसाब से वेतन बढ़ोतरी तय की जाएगी. नियम के मुताबिक इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले करीब 3 करोड़ कर्मचारियों की सैलरी महंगाई बढ़ने के हिसाब से हर 6 महीने में बढ़ेगी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़ा एक नया आधार तय किया है, जिनका महंगाई भत्ता इस महंगाई सूचकांक से जुड़ा होगा. पिछले महीने की 27 तारीख को मुख्य श्रम एवं रोजगार सलाहकार बी एन नंदा की अगुवाई में एक अहम बैठक हुई थी. जिसमें इंडस्ट्रियल सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक नई सीरीज के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) को मंजूरी दी गई थी. इसके लिए 2016 को आधार वर्ष बनाया गया था.
एक अनुमान के मुताबिक मोदी सरकार के इस फैसले से देश में संगठित इंडस्ट्रियल सेक्टर के 3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का आकलन हर 6 महीने पर होता है. इस काम को अंजाम देने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू का सहारा लिया जाता है. लेकिन 2001 के बाद सीपीआई-आईडब्ल्यू में संशोधन नहीं हुआ है, जबकि इसमें हर 5 साल में बदलाव की जरूरत है. 7वें वेतन आयोग के दौरान केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र में कर्मचारी संघ भी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू के आंकड़ों का सहारा लेते हैं.