मुजफ्फरपुर: पशु व्यवसायी से लूट का आरोपी 24 घंटे में गिरफ्तार, कैश भी बरामद सरैया बाजार से अयोध्या के लिए 17वां जत्था रवाना, अजय सिंह का हुआ जोरदार स्वागत Bihar News: ‘परिवार बचाओ, संपत्ति बचाओ यात्रा पर निकले हैं तेजस्वी’ रोहित कुमार सिंह का बड़ा हमला Bihar News: ‘परिवार बचाओ, संपत्ति बचाओ यात्रा पर निकले हैं तेजस्वी’ रोहित कुमार सिंह का बड़ा हमला बड़हरा में माई-बहन सम्मान योजना को मिला जबरदस्त समर्थन, 50 हज़ार से अधिक फॉर्म जमा Traffic Challan: माफ होंगे 12.93 लाख गाड़ियों के चालान, वाहन मालिकों को मिली बड़ी राहत Traffic Challan: माफ होंगे 12.93 लाख गाड़ियों के चालान, वाहन मालिकों को मिली बड़ी राहत Bihar Politics: बिहार में विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त का मामला, BJP एमएलए से EOU ने तीन घंटे तक की पूछताछ; अब JDU विधायक की बारी Bihar Politics: बिहार में विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त का मामला, BJP एमएलए से EOU ने तीन घंटे तक की पूछताछ; अब JDU विधायक की बारी मोतिहारी के इन सरकारी स्कूलों में 'चवन्नी' का काम नहीं और BSEIDC से करोड़ों की अवैध निकासी ! खुलासे के बाद भी भुगतान को लेकर 'पटना' भेजी जा रही सैकड़ों फाइल
1st Bihar Published by: Updated Fri, 18 Mar 2022 01:29:39 PM IST
- फ़ोटो
DESK: अब बात एक ऐसे गांव की करते है जहां होली के मौके पर पूरे गांव के मर्द औरतों से डरते हैं। होली के दिन कोई पुरुष गांव में पैर तक नहीं रख सकता। यदि भूलवश कोई गांव में रह जाए तो महिलाएं कोड़े मारकर उन्हें बाहर निकालती है।
होली की यह अनूठी परंपरा राजस्थान के टोंक जिले के नगर गांव की है। इस गांव में यह परंपरा करीब 400 साल पुरानी है। होली के दिन गांव में सिर्फ महिलाओं का ही राज रहता है एक भी पुरुष गांव में नजर नहीं आते हैं।
गांव के लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय पर्दा प्रथा का चलन अधिक था। महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी। फाल्गुन मास का सबसे खास त्योहार होली के मौके पर भी महिलाएं बाहर नहीं आती। इस बात की जानकारी जब तत्कालीन महाराज को पता हुई तब दरबार बुलाया गया।
दरबार में यह बात रखी गई कि क्यों न होली के दिन सभी पुरुष गांव के बाहर चले जाएं? ताकि गांव की महिलाएं बिना किसी शर्म और लोक-लाज के होली के त्यौहार का आनंद ले सके। इस पर सभी की सहमति बनी। इसके बाद से पिछले 400 साल से यह परंपरा चली आ रही है। आज भी होली के दिन पुरुष गांव के बाहर बने माता जी के मंदिर में रहते हैं और महिलाओं का राज पूरे गांव पर होता है।
होली के दिन सुबह में ही सभी मर्दो को गांव से बाहर निकाल दिया जाता है। लेकिन इससे पहले गांव की महिलाएं चौक में मिलती हैं। लोक गीतों के साथ पुरुषों को महिलाएं गांव से बाहर करती है। जिसके बाद गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित मंदिर में गांव के सारे मर्द चले जाते हैं।
मंदिर में रहने के दौरान वे होली भी नहीं खेलते हैं। जबकि होली के दिन महिलाएं कौड़ा मार होली भी खेलती है। गलती से यदि पुरुष गांव में दिख भी जाए तो उसे कोड़े मार-मार कर गांव से बाहर निकाल देती है। होली खेलने के बाद गुड़ भी बांटा जाता है। वही दिनभर मर्द मंदिर परिसर में ही रहते हैं और शाम को गाजे-बाजे के साथ गांव में आते हैं। इस गांव में यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।