JAMUI : बिहार में इन दिनों भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप से लोग परेशान हैं। हीटवेव के कारण कई लोगों की अब तक मौत भी हो चुकी है। इसी क्रम में जमुई के झाझा स्थित बलियाडीह उर्दू विद्यालय के टीचर की भी मौत हो गयी। घटना से गुस्साए लोगों ने मुख्य सड़क को जाम कर दिया और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने केके पाठक के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
बताया जाता है कि झाझा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलियोडीह उर्दू स्कूल में वर्ष 2006 से तैनात सहायक शिक्षक 49 वर्षीय अख्तर की तबियत अचानक स्कूल पहुंचने के बाद खराब हो गयी। भीषण गर्मी के बीच शनिवार की सुबह टीचर स्कूल आए थे। स्कूल आने के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह स्कूल के कैम्पस में ही गिर गये। उन्हें गिरा देख बच्चों ने इसकी जानकारी वहां मौजूद लोगों को दी, जिसके बाद उन्हें झाझा रेफरल अस्पताल ले जाया गया।
जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने उन्हें पटना रेफर कर दिया। पटना ले जाने के क्रम में उनकी रास्ते में ही मौत हो गयी। सहायक शिक्षक की मौत की खबर मिलते ही गुस्साए लोगों ने मुख्य सड़क को जाम कर दिया और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की। मृतक के बेटे का कहना है कि उसके अब्बू की मौत का जिम्मेदार केके पाठक है।
वही स्थानीय ग्रामीण और शिक्षकों ने केके पाठक के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाये। कहा कि जब प्रचंड गर्मी की वजह से स्कूल में बच्चे नहीं आ रहे हैं तब शिक्षकों को क्यों बुलाया जा रहा है। लोगों ने पीड़ित परिजन को मुआवजे देने की भी मांग की। घटना के संबंध में उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलियोडीह उर्दू स्कूल के हेडमास्टर मो. जुबरैल अंसारी ने बताया कि सुबह में स्कूल आकर अख्तर ने अपना अटेंडेंस बनाया था। थोड़ी देर बाद कहने लगे कि तबियत ठीक नहीं लग रही है। फिर कुछ देर बाद वह गिर पड़े। जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें इलाज के लिए झाझा के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। जहां से बेहतर इलाज के लिए उन्हें पटना रेफर कर दिया गया।
पटना ले जाने के क्रम में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। वही एक अन्य शिक्षक ने बताया कि सरकार के आदेश का हमलोग पालन कर रहे हैं। सरकार ने आदेश जारी किया है कि 30 मई से बच्चों की छुट्टी होनी है और विद्यालय में शिक्षक 9 से 12 बजे तक मौजूद रहेंगे। सरकार के इस आदेश का पालन करना हमारी मजबूरी है। इतनी गर्मी पड़ रही है कि हीटवेव के कारण किसी भी शिक्षक की मौत हो सकती है। आज अख्तर की मौत हो गयी, कल किसी और की होगी। इस तरह का आदेश सही नहीं है। जब स्कूल में बच्चे ही नहीं रहते हैं तब हम लोगों को इतनी भीषण गर्मी में क्यों बुलाया जाता है यह समझ से परे हैं। शव के साथ प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना था कि जबतक जिले के डीएम और जिला शिक्षा पदाधिकारी नहीं पहुंचेंगे और पीड़ित परिवार की मदद की बात नहीं करेंगे, तबतक शव को दफनाया नहीं जाएगा।