हीरो नहीं विलेन हैं सत्यपाल मलिक: जानिये राज्यपाल रहते कैसे मनाते रहे रंगीनियां, क्या-क्या गुल खिलाये, बीजेपी ने तब पर्दा डाला था अब खुद भुगत रही है

हीरो नहीं विलेन हैं सत्यपाल मलिक: जानिये राज्यपाल रहते कैसे मनाते रहे रंगीनियां, क्या-क्या गुल खिलाये, बीजेपी ने तब पर्दा डाला था अब खुद भुगत रही है

PATNA: जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक इन दिनों देश में बीजेपी विरोधी धड़े के हीरो बने हैं. लेकिन राज्यपाल रहते उन्होंने जो गुल खिलाये थे, वे किसी सी ग्रेड फिल्म के विलेन जैसे ही थे. खास बात ये है कि बीजेपी सत्यपाल मलिक के करतूतों पर उस वक्त पर्दा डालती रही. अब वही भाजपा अपने हाथों खड़ा किये गये विष वृक्ष का डंक झेल रही है. 


बता दें कि सत्यपाल मलिक ने हाल ही में दिये गये एक इंटरव्यू में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करप्शन से कोई बहुत नफरत नहीं है. सत्यपाल मलिक ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर के बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने ये भी दावा किया है कि पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री ने उन्हें चुप रहने को कहा था. मलिक ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद सीआरपीएफ ने जवानों को ले जाने के लिए एयरक्राफ्ट मांगा था, लेकिन उन्हें नहीं दिया गया. हमले के दिन ही मैंने प्रधानमंत्री से कहा था कि ये हमारी गलती से हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा तुम अभी चुप रहो.


सत्यपाल मलिक की हैरान करने वाली कहानियां

समाजवाद से कांग्रेस होते हुए बीजेपी के दरवाजे पर पहुंचे सत्यपाल मलिक को केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद जब सत्ता का सुख मिला तो उन्होंने जो कुछ किया वह हैरान कर देने वाला है. आप भी उनकी कहानियां जानकर हैरान रह जायेंगे. उच्च संवैधानिक पद पर बैठे सत्यपाल मलिक की रंगीनियों के साथ साथ दूसरे करतूतों की चर्चायें आम होती रही लेकिन बीजेपी उनका प्रमोशन करती गयी. जानिये उनकी कुछ करतूतों की कहानी.


राजस्थान के बाडमेर से पत्रकार की गिरफ्तारी

ये वाकया 2018 का है, 19 अगस्त 2018 को राजस्थान के बाडमेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को वहीं की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने बताया की उन्हें बाडमेर के एसपी ने अपने पास बुलाया था. पत्रकार होने के नाते वे एसपी के पास गये और वहीं उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. बाडमेर पुलिस ने राजपुरोहित को बताया कि उनके खिलाफ बिहार की राजधानी पटना में अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत केस दर्ज है. उस केस में वारंट जारी है. पटना के एसएसपी ने वह वारंट बाडमेर पुलिस को वाट्सएप पर भेजा है इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जाता है. बाड़मेर पुलिस ने राजपुरोहित को गिरफ्तार किया और आनन फानन में एक गाड़ी से बिहार रवाना कर दिया.


गिरफ्तारी की ये प्रक्रिया हैरान कर देने वाली थी. अमूमन किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दूसरे राज्य में दर्ज होता है तो वहां की पुलिस आकर अभियुक्त को गिरफ्तार करती है और साथ लेकर जाती है. लेकिन यहां तो वाट्सएप पर वारंट आया और बाड़मेर की पुलिस पत्रकार को गिरफ्तार कर खुद अपने साथ लेकर बिहार के लिए रवाना हो गयी. पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित चीख-चीख कर कहते रहे कि वे जिंदगी में कभी बिहार गये ही नहीं. फिर वहां किसी दलित का उत्पीडन कैसे कर दिया. लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी और बाड़मेर से पटना लाकर जेल भेज दिया गया.


पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के पटना आने के बाद मुकदमे की जानकारी दी गयी. राकेश पासवान नाम के एक व्यक्ति ने मुकदमा दर्ज कराया था कि वह राजस्थान में दुर्ग सिंह राजपुरोहित की पत्थर की खदान में काम करता था. 6 महीने तक काम करने के बाद भी जब वेतन नहीं दिया गया तो वह लौट कर पटना चला आया. इसके बाद 15 अप्रैल 2018 को दुर्ग सिंह अपने साथियों के साथ पटना आये. उसे वापस चलने को कहा लेकिन जब राकेश पासवान ने इंकार किया तो उसकी जूतों से पिटाई की गयी और जाति सूचक गालियां दी गयी. मुकदमे में कही गयीं बातें हैरान करने वाली थी. दुर्ग सिंह राजपुरोहित या उनके परिवार के किसी व्यक्ति ने कभी पत्थर का कारोबार नहीं किया. दुर्ग सिंह कभी बिहार नहीं आये फिर भी मुकदमा हुआ और सीधे जेल भेज दिया गया.


मीडिया सक्रिय हुई तो खुली पोल

इस बीच एक पत्रकार को झुठे मुकदमे में फंसाये जाने की खबर फैली तो पटना में मीडिया के कुछ लोग सक्रिय हुए. उन्होंने मुकदमा दर्ज कराने वाले राकेश पासवान को ढूंढ़ निकाला. राकेश पासवान ने मीडिया से कहा-मैं कभी राजस्थान गया ही नहीं हूं और ना ही दुर्ग सिंह को जानता-पहचानता हूं. मैंने कोई मुकदमा भी नहीं किया है. मैं पटना के एक दबंग के यहां काम करता हूं. उन्होंने मुझे कुछ कागज पर साइन करने को कहा था तो मैंने साइन जरूर किया था. लेकिन मुझे मुकदमे की कोई जानकारी ही नहीं है.


सत्यपाल मलिक की असली कहानी जानिये

जब केस दर्ज कराने वाले राकेश पासवान की बातें सामने आयीं तो फिर एक-एक कर सारी बातें सामने आने लगीं. मामला बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक से जुड़ा था. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक उस समय लगातार राजस्थान के बाडमेर का निजी दौरा करते थे. बिहार के राज्यपाल सरकारी तामझाम और सुरक्षा के साथ बाडमेर में एक नेत्री के घर जाते थे. वे वहां किसी सरकारी गेस्ट हाउस या होटल में नहीं रूकते थे. बल्कि उसी नेत्री के घर रूकते थे. एक दफे तो वे तीन रात वहीं रूके. बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक उस महिला नेत्री के साथ लोकल रेस्टोरेंट औऱ जिम तक में जाते थे. लोगों ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के वहां आने का कारण पूछा था तो मलिक कहते थे इस नेत्री के दादा मेरे दोस्त थे. सबसे दिलचस्प बात ये थी कि उस नेत्री के दादा जब तक जिंदा थे तब तक सत्यपाल मलिक एक बार भी उनके घर पर नहीं गये.


झमेला तब खड़ा हुआ जब बाड़मेर के एक रेस्टूरेंट में काम करने वाला एक कश्मीरी मुस्लिम युवक एक स्थानीय लड़की को लेकर फरार हो गया. बात लव जिहाद की होने लगी. इसी बीच उस कश्मीरी मुस्लिम युवक की एक सेल्फी सामने आयी जिसमें वह बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ फोटो खिंचवा रहा था. सवाल ये उठने लगा कि रेस्टोरेंट में वेटर का काम करने वाले ने राज्यपाल के साथ सेल्फी कैसे खिंचवायी. इसके बाद बता चला कि वह रेस्टोरेंट उसी महिला नेत्री के करीबी का है जिसके घर राज्यपाल सत्यपाल मलिक लगातार पहुंच रहे थे. 


बाडमेर के स्थानीय पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ महिला नेत्री के रिश्ते और स्थानीय युवती को भगा ले जाने वाले कश्मीर मुस्लिम युवक से सत्यपाल मलिक के संबंध पर लिखना शुरू किया. उसे महिला नेत्री से धमकी मिली-तुम्हें इसकी सजा बिहार में मिलेगी. दुर्ग सिंह राजपुरोहित को इसकी सजा बिहार में मिल गयी.


केंद्र सरकार के प्रमोशन दे दिया

19 अगस्त 2018 को बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी हुई थी, इसके बाद बखेड़ा खड़ा हुआ था. लेकिन तीन दिन बाद केंद्र सरकार ने सत्यपाल मलिक को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बना कर प्रमोट कर दिया. राज्य सरकार विहीन जम्मू कश्मीर में सत्यपाल मलिक सर्वेसर्वा बन कर राज करने लगे. वहीं, पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी से जुडी सच्चाई सामने आने के बाद बिहार सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिये थे. जांच की आंच बिहार के तत्कालीन राज्यपाल के एक बेहद करीबी अधिकारी तक पहुंच चुकी थी जो अपने बॉस के कहने पर दुर्ग सिंह राजपुरोहित के ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे. लेकिन इसी बीच एक और मजेदार घटनाक्रम हुआ. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बन कर गये सत्यपाल मलिक सरकारी प्लेन से पटना पहुंच गये. उसके बाद जांच कहां गयी और नतीजा क्या निकला ये राज्य सरकार ने नहीं बताया.


सत्यपाल मलिक के कारनामों की है लंबी फेहरिश्त

बात सिर्फ दुर्ग सिंह राजपुरोहित की नहीं है. सत्यपाल मलिक के कारनामों की फेहरिश्त लंबी है. बिहार का राज्यपाल रहते वे 19 अगस्त 2018 को सरकारी हैलीकॉप्टर से सासाराम में शेरशाह के मकबरे को देखने गये. वे अपने साथ एक युवती को भी लेकर गये. वह युवती राज्यपाल की पत्नी, बेटी, बहू या पौत्री में से कोई नहीं थी. सासाराम का पूरा सरकारी अमला हैरान था कि राज्यपाल किसे अपने साथ लेकर आ गये हैं. राज्यपाल के साथ घूमने गयी युवती की फोटो भी वायरल हुई.


बिहार राजभवन से जुड़े लोग सत्यपाल मलिक की कई कहानियां सुनाते हैं. 2018 में ही केंद्र सरकार ने सत्यपाल मलिक को करीब दो महीने के लिए ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया था. सत्यपाल मलिक ओडिशा के राज्यपाल का प्रभार लेने पटना से तो अकेले गये थे लेकिन जब वहां से लौटे तो सरकारी प्लेन में उनके साथ दो युवतियां भी थीं. दोनों राजभवन में ही रूकीं. राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी दो युवतियों को देखकर हैरान हो रहे थे. तब राज्यपाल ने उन्हें बताया कि वे दोनों उनके एक पुराने मित्र की बेटियां हैं जिन्हें वे अपने साथ लेकर आये हैं. लेकिन वे मित्र और उनकी पत्नी क्यो साथ नहीं आयीं ये सत्यपाल मलिक ने नहीं बताया था. 


राजभवन के कई अधिकारी और कर्मचारी ऐसे कई किस्से सुनाते हैं. वे कहते हैं कि केंद्र सरकार सिर्फ इसकी जांच करा ले कि बिहार ही नहीं बल्कि कश्मीर, गोवा और मेघालय में उनके राज्यपाल रहते राजभवन में किनका आना जाना था और राजभवन में वे कैसे रहते थे तो ढेर सारी बातें सामने आयेंगी.


बड़बोलेपन के भी कई किस्से

बिहार का ही राज्यपाल रहते उनके बडबोलेपन के भी कई किस्से सामने आये. बिहार विधान परिषद के सभागार में हो रहे एक कार्यक्रम में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि उनके गांव का एक दर्जी बहुत अच्छे शेर लिखता है. वह ब्रिटेन के लोगों का कपड़ा सिलता है, भारत में सिर्फ मेरी बंडी सिलता है. सत्यपाल मलिक ने दर्जी की लिखी शेर भी सुना दिया. उस शेर को सुनकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गये. क्योंकि वह शेर पटना के मशहूर शायर कलीम अजीज का था और पूरी दुनिया में चर्चित था. कार्यक्रम में मौजूद एक विधान पार्षद से नहीं रहा गया तो उसी सभा में कहा कि राज्यपाल महोदय को कुछ गलतफहमी हो गयी है, ये शेर उनके दर्जी का लिखा हुआ नहीं है बल्कि पटना के मशहूर शायर का लिखा हुआ है.