PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जुबान हर रोज फिसल रही है. सार्वजनिक सभाओं में वे कुछ का कुछ बोल जा रहे हैं. पटना में आज सीपीआई की रैली में नीतीश ने कहा कि वे 1987 में विधानसभा चुनाव लडे थे, तब सीपीआई और सीपीएम के लोगों ने मदद की थी. लेकिन हकीकत ये है कि 1987 में कोई चुनाव ही नहीं हुआ था और ना ही जब नीतीश विधायक चुने गये थे तो सीपीआई ने उनकी मदद की थी.
सीपीआई की रैली में क्या बोले नीतीश
दरअसल सीपीआई ने आज पटना के मिलर हाईस्कूल में रैली का आयोजन किया था. इसमें नीतीश कुमार को भी बुलाया गया था. नीतीश कुमार ने मंच से भाषण देते हुए कहा कि सीपीआई वालों से उनका आज का रिश्ता नहीं है. बहुत पुराना रिश्ता है. नीतीश ने कहा-हम जब 1987 में विधानसभा का चुनाव लड़े थे तो सब सीपीआई और सीपीएम वालों ने हमारा मदद किया था. इसलिए सीपीआई से आज का रिश्ता नहीं है.
अब जानिये कि हकीकत क्या है
नीतीश कुमार ने 1987 में कोई चुनाव ही नहीं लड़ा था. ना ही 1987 में विधानसभा का कोई चुनाव हुआ था. नीतीश कुमार सबसे 1977 की जनता पार्टी की लहर में विधानसभा चुनाव लड़े थे लेकिन वे हार गये थे. वे 1980 में भी विधानसभा का चुनाव लड़े तो हार गये. 1985 में नीतीश पहली दफे नालंदा के हरनौत विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे. लोकदल उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने जीत हासिल की थी. उसके बाद फिर वे विधायक का चुनाव नहीं लड़े. 1989 में नीतीश कुमार बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुन लिये गये थे.
सीपीआई ने मदद नहीं की थी
नीतीश कुमार ने 1985 जब विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता था तो सीपीआई ने उनकी मदद नहीं की थी. सीपीआई का उस समय नालंदा जिले में अच्छा खासा जनाधार था. 1985 के विधानसभा चुनाव में भी हरनौत क्षेत्र से सीपीआई के उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद सिंह चुनाव लड़े थे. उन्हें करीब 6 हजार वोट भी आये थे. लेकिन नीतीश ने आज दावा कर दिया कि सीपीआई ने उनकी मदद की थी. सीपीआई के एक पुराने नेता से फर्स्ट बिहार ने जब बात की तो पहले तो बोलने से मना करते रहे. फिर अनौपचारिक तौर पर कहा कि अगर कोई मुख्यमंत्री हमारे मंच से ऐसी बात कह रहा हो तो हम उसका खंडन कैसे करते. हम चुपचाप मुस्कुरा कर रह गये.